Book Title: Caurasi Bol
Author(s): Padmanabh S Jaini
Publisher: Siddhantacharya Pt Fulchandra Shastri Foundation Roorkee
View full book text
________________
ॐ नमः सिद्धेभ्यः ।
छप्पय छन्द
सुनय पोष हत दोष मोक्ष मुख शिव पद दायक गुण मणि कोष सुघोष रोषहर तोष विधायक |
एक अनंत सरूप सन्त वन्दित अभिनन्दित निज सुभाव परभाव भाव भासेइ अमंदित ।।
अविदित चरित्र विलसित अमित
चौरासी बोल
अविचलित कलित निज रस ललित
सर्व मिलित अविलिप्त तन ।
इकतीसा सवैया नाथ हिम भूधर तैं निकसि गनेश चित्त
भूपरि उतारी शिव सागर लौं धाई है। परमत वाद मरयाद कूल उन्मूलि
जय जिन विदलित कलिलधन ||२||
-
अनुकूल मारग सुभाय ढरि आई है। बुध हंस सेइ पापमल कौं विध्वंस करै
-
सुरवंश सुमति विकासि वरदाई है । सपत अभंग भंग उठे है तरंग जामैं
Jain Education International
दोहा
सेतंबर मत की सुनी जिनते है मरजाद |
ऐसी वानी गंग सरवंग अंग गाई है ।।२।।
मिलहि दिगंबर स्यौं नहीं जे चौरासी बाद | |३||
तिन्ह की कछु संछेपता कहिए आगम जानि ।
For Private & Personal Use Only
15
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50