Book Title: Caurasi Bol Author(s): Padmanabh S Jaini Publisher: Siddhantacharya Pt Fulchandra Shastri Foundation RoorkeePage 38
________________ ग्रहवास वसतै ही केवली भरत भयौ आरसी के मंदिर मै मानि निरवहे है।। द्रौपदी सतीकौ कहै भइ पंच भरतारी ___ अंधबंध भारी करि संकट मै फहै है।। साची वात झूठी कहै वस्तु को न भेद लहै हठ रीति गहि रहै मिथ्या वात कहै है। ७१।। कोउ मुनि कंध परि पंथ मै गुरु कौ लिए चलें जात केवली भयो है सरहै है। कहै है जमाइ वीरनाथ को जमाली नामा ___वीर है कुमारौ सुनि लरने को खहै है।। क्रबक ध्रवक करि केवली कपिल नाचौ । मूरख रिझावने को ऐसी मानि रहै है। सांची वात झूठी कहै वस्तु को न (भेद) लहै हठ रीति गहि रहै मिथ्यावात कहै है। ७२।। छपयकहै बहुत्तरि सहस भइ वसुदेव बधूगन धनुष पंच सै उच्च बाहुबलि कहिहि धौँ तन। सूद्रजाति घरि असन करत मुनि दोष न पावै देव मनुष्यणी भोग भोगवै हि सुरत वधावै (?)।। एक गरभमांहि सुलसा धरै सुन बत्तीस बने नहि (?) पहिलै त्रिपिष्ट वसुदेव की नानति (?) उत्पति मानहि ७३।। मानै वीर विहार अनारज देस भूमि पर Jain Education International For Private & Personal Use Only 29 www.jainelibrary.orgPage Navigation
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