Book Title: Caurasi Bol Author(s): Padmanabh S Jaini Publisher: Siddhantacharya Pt Fulchandra Shastri Foundation RoorkeePage 30
________________ अंत करै घर त्याग ।।३१।। जिन वैराग दसा धरत त्याग सब पर भाव । कहा जानि आपनौं करों पाछै दान बताव ।।३२ ।। धरै दिगंबर दसा जिन पाछे अंबर आनि। इंद्र धरै जिनकंधपरि यह संसयमति मानि ।३३। चौपई. गनधर विना वीर की धनी निफल खिरी न काहू मानी। समकित व्रत का भया न धारी कोउ तहां कहै सविकारी ।।३४ ।। दोहराकै न खिरै जौ खिरै तौ होइ सफल तहकीक। खिरै फलविना जे कहै । तिनकी बात अलीक ।।३५ ।। अडिललोकनाथ सो जिनवर जाकौं पूत है तिस मातास्यौ कहै और परसूत है। आदिनाथ कौ प्रगट कहुत है जुगलीया तिनिहींको फिरि कहै भए ते पतितिया ।।३६ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only 21 www.jainelibrary.orgPage Navigation
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