Book Title: Caurasi Bol
Author(s): Padmanabh S Jaini
Publisher: Siddhantacharya Pt Fulchandra Shastri Foundation Roorkee

Previous | Next

Page 32
________________ अडिल्लदिज घरवासि सिद्धारथ घर जब संचरिउ । गरभ कल्यानक कही कहां जिनको कर्यो।। जौ दुज घरि तौ हौइ हीनता इसकी सिद्धारथ घरि कीया न बनै हदीस की।।४२।। जौ दोनौ घरि तौ कल्यानक छह गनौ ।। जो दोनौ कै नाहि तुछ पर्यो हीलनौ । सीलभंग तौ होइ जिनेश्वरमात का जातै वीर नांहि सिद्धारथ तात का ।।४।। चौपइजहां बात का नांहि निबेरी(रा) तहां कलपि करे कहै अछेरा। ऐसी बानी मूढ बखानै दरसन मोह लीन सरधानै।।४४ ।। दोहरापंच कुमार जिनेस है सत्यारथ मत मांहि । मल्लि नेमि एह कुमर कहै दोइ अरू नाहि।।४५।। तीर्थंकर जिनकौं नमै सामानिक जिन होइ। कहै बाहुबलि केवली नम्यौ रिषभ के पाइ।।४६।। सवैया इकतीसाअरिहंत पद वंदि वंदक सरूप मेरौ ऐसे भाव परमाद गुनताइ बहे है। 23 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50