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जैन-विभूतियाँ ए-खास (राज्य की कानून बनाने वाली सार्वभौम सभा) के आप वर्षों तक सदस्य रहे। सं. 1996 में आप भेलसा नगरपालिका के प्रथम अशासकीय अध्यक्ष चुने गये। सिंधिया सरकार ने स्वतंत्रता के पूर्व ही सं. 1997 में आपको ग्वालियर रियासत में ग्राम सुधार एवं स्थानीय स्वशासन विभाग का मंत्री नियुक्त किया।
सन् 42 के स्वतंत्रता आन्दोलन के समय आप त्यागपत्र दे शासन से अलग हो गये। संवत् 2005 में स्वतंत्रतोपरान्त प्रदेश में जब प्रथम काँग्रेस मंत्रिमण्डल बना तो बाबूजी अर्थ मंत्री नियुक्त हुए। आपने मध्य भारत शासन के अर्थ विभाग का पुनर्गठन किया। सं. 2007 में आपने मध्य भारत के मुख्यमंत्री पद पर शपथ ग्रहण की एवं एक ऐसे युग का सूत्रपात किया जिसे मध्यभारत का स्वर्णयुग कहा जाता है। पं. जवाहरलाल नेहरू आपकी शासन क्षमता से विशेष प्रभावित थे। राज्य में पंचवर्षीय योजनाओं के सुनियोजित क्रियान्वयन का श्रेय बाबूजी को ही है। सं. 2009 के आम चुनाव में बासौदा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार जाने पर भी समस्त काँग्रेस विधायक दल ने आपको नेता चुनकर अपनी आस्था प्रकट की। सं. 2012 में आप चुनाव जीते और फिर से मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया। यह काँग्रेस हाईकमान की बाबूजी की योग्यता एवं नेतृत्व क्षमता में आस्था का सूचक था। सं. 2013 में पुनर्गठित हो मध्य प्रदेश राज्य बना तो पं. रविशंकर शुक्ल मुख्यमंत्री बने। बाबूजी इस मंत्रिमण्डल में वाणिज्य उद्योग एवं कृषि मंत्री बने। शुक्लजी के निधन के बाद डॉ. कैलाशनाथ काटजू के मंत्रिमण्डल में भी आप पुन: उन्हीं विभागों के मंत्री रहे एवं राज्य विकास के लिए सदा क्रियाशील रहे। सं. 2015 में केन्द्रीय नेतृत्व ने आपकी बहुमुखी प्रतिभा का सम्मान करते हुए आपको अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी का महामंत्री नियुक्त किया। सं. 2017 में वे मध्यभारत खादी संघ के अध्यक्ष चुने गये। सं. 2019 में राज्य के मंडलोई मंत्रिमण्डल में बाबूजी को पुन: योजना, विकास, विद्युत् एवं सिंचाई विभाग का मंत्रित्व सौंपा गया। किन्तु राजनैतिक संघर्ष एवं सत्ता की राजनीति आपको रास नहीं आई। सं. 2020 में आपने सत्ता की राजनीति से विदा ले ली। सं. 2024 के आम चुनाव के पूर्व आपने काँग्रेस पार्टी ही छोड़ दी।