Book Title: Bisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Author(s): Mangilal Bhutodiya
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 453
________________ 425 जैन-विभूतियाँ 12. श्री बीरचन्द राजकुमार जैन स्व. लाला खैरायतीलाल जी जैन के सुपुत्र श्री बीरचन्द का जन्म सन् 1925 एवं श्री राजकुमार का जन्म सन् 1927 में झेलम शहर (पाकिस्तान) में हुआ। सन् 1947 के विभाजन के बादउनका परिवार पहले देहरादून, फिर आगरा और अन्तत: दिल्ली में बस गया। लाला जी ने बड़े अध्यवसाय से शहादरा में रबर के नाना पदार्थ निर्माण करने का कारखाना खोला। सन 1961 में इसकी दूसरी शाखा गुड़गाँव में खोली। सन् 1971 में इस कारोबार के फैलाव को Jलक्ष्य कर Enkay (India) की स्थापना की गई। दोनों भ्राता इस कम्पनी के स्वयंभूत डाइरेक्टर हैं। इस कम्पनी द्वारा निर्मित वस्तुओं का विदेशों में निर्यात होता है। भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त ये वस्तुएँ विश्व के प्राय: छहों महाद्वीपों में अपनी साख बनाए हुए हैं। रबर के बने खेल सामान एवं जूतों के लिए निर्मित रबर सोल के निर्यात पर कम्पनी का प्राय: एकाधिकार है। फुटबाल के ब्लेडर Latex सम्बंधी पेटेंट की मालिक यही कम्पनी है। श्री राजकुमार अपनी निर्यात सम्बंधी उपलब्धियों के लिए अनेक राष्ट्रीय इनामों से नवाजे गए हैं। सन् 1999 में उन्हें "स्वतंत्रता स्वर्ण जयंती उद्योग विभूषण" एवार्ड से सम्मानित किया गया। वे अनेकानेक जनहितकारी संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। सन् 1996 में उनके शैक्षणिक एवं सामाजिक अवदानों के लिए उन्हें 'समाज-रत्न' विरुद से सम्मानित किया गया। 13. श्री हुलासचन्द गोलछा श्री रामलालजी गोलछा के सुपुत्र श्री हुलासचन्द गोलछा सन् 1991 से नेपाल में पौलेण्ड के अवैतनिक महावाणिज्यदूत हैं। वे नेपाल के सर्वोच्च चेम्बर 'नेपाल उद्योग वाणिज्य महासंघ' के संस्थापक एवं 10 वर्षों तक उपाध्यक्ष रहे। नेपाल में अनेकों स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर के व्यापारिक संगठनों के संस्थापक, महासचिव तथा अध्यक्ष आदि पदों पर रहे हैं। नेपाल-ब्रिटेन चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री नामक द्वि-राष्ट्रीय चेम्बर के भी संस्थापक अध्यक्ष रहे। दक्षिण एशिया के व्यापारिक संगठन "सार्क चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री' के संस्थापक रहे एवं सन् 2002 से वे उसके उपाध्यक्ष हैं। व्यावसायिक रूप में वे गोलछा ऑर्गनाइजेशन एवं सगरमाथा इन्स्योरेन्स कं. लि. के अध्यक्ष हैं। विश्व के 51 देशों का उन्होंने व्यापारिक एवं व्यावसायिक भ्रमण किया है। पाँच वार हृदयघात होने के बावजूद अपनी सकारात्मक सोच के बल पर वे दिन में 16 घंटे सक्रिय रहते हैं। उन्होंने जैन धर्म एवं हिन्दुत्व से जुड़े अनेकों धार्मिक संगठनों के संस्थापक की भूमिका निभाई है। वे नेपाली धर्म संसद प्रतिष्ठान के संस्थापक अध्यक्ष हैं, नेपाल में मुख्यालय वाले विश्व हिन्दू महासंघ के संस्थापक सचिव एवं वर्तमान में उसकी अन्तर्राष्ट्रीय कार्यसमिति के

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