Book Title: Bisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Author(s): Mangilal Bhutodiya
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 468
________________ 440 जैन-विभूतियाँ प्रतिभा के धनी, लक्ष्मी और सरस्वती के वरद् पुत्र श्री बांठिया सेवा और सादगी के प्रतीक थे। वर्ष 1995 में श्री हजारीमल बांठिया सम्मान समारोह समिति, अलीगढ़ ने एक विशेष समारोह में इन्हें 'श्री हजारीमल बांठिया अभिनन्द ग्रंथ' नामक एक विशाल ग्रंथ कानपुर में भेंट किया था। प्रस्तुत ग्रंथ की कल्पना एवं संयोजन का श्रेय बांठिया जी को ही है। दिनांक 15 फरवरी, 2004 के दिन अचानक हाथरस से कम्पिल जाते हुए रास्ते में ही उनका देहावसान हो गया। सह-संयोजक श्री ललित कुमार नाहटा ___ खरतरगच्छ महासंघ के पुरोधा श्रेष्ठि श्री हरखचन्दजी नाहटा के सुपुत्र श्री ललित कुमार अजस्त्र युवा शक्ति के प्रतीक हैं। आपने कपड़े, गल्ले, किराणे, ऑटोमोबाईल्स, नमक, चाय आदि के थोक व्यापार करते हुए फाइनैन्स व फिल्म-फाइनैन्स तक का कार्य कुशलतापूर्वक करने के उपरान्त जमीन-जायदाद के काम में महारथ प्राप्त की। आज 25 से अधिक फर्म/कम्पनियों का कुशलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। 1985 में नई दिल्ली के राज्यपाल के हाथों 'जैन उद्योग व्यापार रत्न एवार्ड' के सम्मान से सम्मानित होने वाले सबसे छोटी उम्र के उद्यमी हैं। आप तीन पत्रिकाओं 'ज्योति संदेश वार्ता', 'स्थूलभद्र संदेश' व 'णमो तित्थस्स' का संचालन कर रहे हैं। आप 'जैन कुशल युवक मण्डल' के 1996 से 1998 तक अध्यक्ष रहे। अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ महासंघ के उपाध्यक्ष (उत्तर भारत), श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन तीर्थ रक्षा ट्रस्ट के संयोजक (उत्तर भारत), अहिंसा कीर्ति न्यास के महामंत्री, श्री जैन श्वेताम्बर महासभा, उत्तरप्रदेश के ट्रस्टी, श्री वर्धमान जैन सार्वजनिक चिकित्सालय कम्पिल के मंत्री, श्री अहिच्छत्रा पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर पेढ़ी के ट्रस्टी, श्री जैन देवस्थान संरक्षण ट्रस्ट, रतनगढ़ के ट्रस्टी, जैन खरतरगच्छ समाज, दिल्ली के संयोजक, श्री जिनकुशल सूरि एज्यूकेशनल ट्रस्ट के ट्रस्टी, पंचाल शोध संस्थान, जैन सोशियल ग्रुप फेडरेशन (इन्दौर), जैन महासभा, जैन समाज, श्री जिन कुशल सूरि खरतरगच्छ दादाबाड़ी ट्रस्ट मन्दिर जिर्णोद्धार समिति, ऋषभदेव फाउंडेशन, न्यूज पेपर एसोसिएशन, श्री जिनकुशल सूरि जैन सेवा संघ, जैन एकता महासमिति आदि की बहुआयामी गतिविधियों के केन्द्र पुरुष श्री नाहटा स्वयं में ही एक संस्था हैं। प्रस्तुत ग्रंथ के सह-संयोजन का श्रेय श्री नाहटा को ही है। समाज को इस युवा शक्ति से अनेक अपेक्षाएँ एवं आशाएँ हैं।

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