Book Title: Bisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Author(s): Mangilal Bhutodiya
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 422
________________ जैन-विभूतियाँ आशीर्वाद से श्री संघ द्वारा जिन मन्दिर बनाने की योजना बनी। लालाजी ने हरियाणा सरकार को भू-खण्ड मूल्य देकर मन्दिर हेतु मुख्य शिला स्थापित कर गर्भ-गृह निर्माण का पुण्य लाभ अर्जित किया। लालाजी ने पालीताना, पावागढ़ शौरीपुर, आगरा, कोबा आदि तीर्थ स्थलों एवं गुरुधाम (लहरा), श्री वल्लभ स्मारक (दिल्ली) एवं आचार्यश्री समुद्र सूरि समाधि मन्दिर ( मुरादाबाद) के निर्माणार्थ अवदान देकर पुण्यार्जन किया । उन्होंने फरीदाबाद में अनेक बार निःशुल्क कैंसर जाँच शिविर आयोजित करवाए। महान तपस्वी, उपाध्याय मुनि बसंत विजयजी की प्रेरणा से हस्तिनापुर में साधना हेतु एक गुफा का निर्माण करवाया। श्री वल्लभ स्मारक स्थाई निधि में पाँच लाख रुपए की राशि प्रदान की । पदमावती चैरिटेबल ट्रस्ट को सवा लाख रुपये अवदान देकर उसे दृढ़तर बनाया। 396 लालाजी लक्ष्मी की महती कृपा के बावजूद सादा जीवन, उच्च विचार के हामी थे। सन् 1941 से 1960 तक प्रतिवर्ष उन्होंने स्वयं अठाई तप किया। सन् 1987 में आचार्य श्री विजयचन्द्र दिन्न सूरि के सान्निध्य में उपधान तप सम्पन्न कराया। सन् 1976 में आपने तीर्थराज सिद्धांचल की यात्रार्थ संघ समायोजन किया। सन् 1997 में आपकी धर्मपत्नि श्रीमती लालदेवी का स्वर्गवास हो गया। तब से आप निरन्तर साधना आराधना को ही समर्पित रहे। सन् 1997 में शौरीपुर तीर्थन्यास एवं श्री जैन श्वेताम्बर नवयुवक मण्डल आगरा द्वारा उन्हें 'समाज रत्न' के विरुद के सम्मानित किया गया। सन् 2002 की 24 जनवरी को उन्होंने 'श्वेताम्बर जैन' पत्रिका के माध्यम से समस्त आचार्यों, श्रमण श्रमणी वृन्द एवं आत्मीय स्वजनों से क्षमा याचना की। तब वे अपनी आयुष के 93 वर्ष पूर्ण होने के नजदीक ही थे । सुपुत्रों, बहुओं, पुत्रियों, पौत्र, प्रपौत्र आदि परिवारजनों की परिपूर्णता में 11 मार्च, 2002 को उन्होंने अंतिम साँस लेकर प्रभु स्मरण करते हुए स्वर्ग गमन किया। उनके सुपुत्रों ने पच्चीस लाख रुपयों की राशि से धर्म एवं समाज हितार्थ श्री लालदेवी लाभचन्द जैन मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की। सन् 1967 में उनके सुपुत्र श्री राजकुमार एवं श्री शांतिलाल द्वारा फरीदाबाद में स्थापित फर्म 'ओसवाल इलैक्ट्रीकल्स' ने दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति की है।

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