Book Title: Bikaner ke Darshaniya Jain Mandir
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 4
________________ ( २ ) 'बीकानेर जबंदीए, चिरनंदीये रे, अरिहंत देहरा आठ । तीर्थ ते नमुरे' ___ कविवर समय सुन्दर के समय (सं. १६८०) यहां आठ जैन मंदिर थे, जो बढ़ते-बढ़ते अब अंर्तगत मन्दिरों को लेकर करीब ३५ की संख्या तक पहुँच गये हैं । समय-समय पर अनेक स्थानों के जैन यात्री बीकानेर को तीर्थ मानते हुए यात्रा के लियेयहां आते हैं । पर यहां के मन्दिरों की पूरी जानकारी न होने से पूरा दर्शन नहीं कर पाते व उन्हे बड़ी असुविधा होती है इसलिये यहां के मंदिरों का संक्षिप्त परिचय प्रकाशित करना आवश्यक जान यह लवु प्रयास किया जा रहा है । गत १५-२० वर्षों से हमने यहां के ही नहीं, राज्य मर के मंदिरों की समस्त प्रतिमाओं के लेख और मंदिरों के इतिहास आदि के संबंधी विशेष अन्वेषण किया है। जिसके फल स्वरूप एक वृहद् सचित्र ग्रंथ 'बीकानेर जैन लेख संग्रह' के नाम से मुद्रित करवाया है, जो शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है । पर जन साधारण के लिये 'तो सामान्य जानकारी ही अपेक्षित होती है, इसलिये इस छोटी सी पुस्तिका में यहां के जैन मंदिरों का अति संक्षिप्त परिचय प्रकाशित करना ही अभीष्ट है। इससे अधिक “परिचय की जिज्ञासा होगी तो दूसरे संस्करण में कुछ फोटो सहित थोड़ा विस्तृत परिचय दिया जायगा। रांगड़ी के चौक में जैन स्वधर्मशाला है जो जैन यात्रियों के ठहरने का स्थान है। अतः वहां से जो जैन मंदिरों के दर्शनों के लिये जाने का सुविधाजनक मार्ग है उसी के क्रम से यहां मंदिरों का परिचय दिया जा रहा है। १ चिन्तामणिजी (आदिनाथ चौवीसटा) का मंदिर ( कंदोईयों के बाजार के उत्तरी नुक्कड़ पर ) बीकानेर नगर की नींव पड़ने के साथ ही इस मंदिर की मी नींव डाली जाने का प्रवाद है। सं० १५६१ में राव बीकाजी के समय में इस मंदिर के बनने का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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