Book Title: Bikaner ke Darshaniya Jain Mandir
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 8
________________ ८ संखेश्वर पार्श्वनाथ का मंदिर यह निम्नोक्त महावीरजी मंदिर और पायचंद्र गच्छ के उपाश्रय के बीच प्रासाणियों के चौक में हैं। ६ महावीरजी का मंदिर (प्रासाणियों के चौक में) उपरोक्त संखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर से सलम है । इसमें कुछ मित्ति चित्र अच्छे हैं। १० पद्मप्रभुजी का मंदिर यह प्रासाणियों के चौक के पास राव गोपालसिंहजी वैद की हवेली के पास , की गलो में पन्नीबाई के उपाश्रय से संलग्न है । यहा कुछ पुराने मित्ति चित्र हैं । ११ ऋषभदेवजी का मन्दिर ___ यह बाजार और संगड़ी चौक को निकटवर्ती नाहटों की गवाड़ में है। इसकी मूलनायक श्रादिनाथ प्रतिमा बहुत ही विशाल और सुन्दर है। ऐसी प्रतिमा अन्यत्र दुर्लभ है। सं० १६६२ चैत्र बदी ७ को अकबर प्रतिबोधक युगप्रधान जिनचन्द्र सूरिजी ने इसकी प्रतिष्ठा की । यह शत्रुजय तीर्थावतार माना जाता है। मूल गुंमारे के बाहर पाले में युगप्रधान जिनकन्दरजी की मूर्ति बड़ी सुन्दर है। मूलनायक प्रतिमा के सामने हायी पर मरूदेवो माता और मात चक्रवती बैठे हैं और मूलगुंभारे के बाहर दोनों ओर भरत और बाहुबलि की मयोत्सर्ग स्थित प्रतिमाएँ हैं। यु. जिनचंद्रसूरिजी की मूर्ति के सामने के पाले में गणधर गौतम व उसके साथ दोनों ओर गणधर सुधर्मा और जम्बूस्वामी की खड़ी मूर्तियां है। गर्ममूह के बाहर दीवाल में एक अोर ऋषभदेव का निर्वाणधाम श्रष्टापद और दूसरी बोर शर्बुजय सौर्य चित्रित Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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