Book Title: Bikaner ke Darshaniya Jain Mandir
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 9
________________ है। पास में पार्श्वनाथजी का स्वतंत्र मन्दिर और प्रदिक्षणा में पांच पांडव, कुन्ती, द्रौपदी, और ऋषभदेव चरण की देहरी है। . १२ शांतिनाथजी का मन्दिर ___यह भी नाहटों की गवाड़ में खरतरगच्छ की प्राचार्य शाखा के उपाश्रय के कीक सामने है। इसमें शान्तिनाथजी, गौतम स्वामी आदि की मूर्तियां दर्शनीय हैं। इसके सामने स्वरतर श्राचार्य शाखा के उपाश्रय में देवछन्दे में जैनमूर्तियां है । १३ सुपार्श्वनाथजी का मन्दिर यह शान्तिनाथजी के मन्दिर के पास, एक पाल में छत्ताबाई के उणश्रय में संलग्न है। इसमें तीर्थों के चित्रित पट्ट और ऊपर तल्ले में चौमुख समवसरण देहरी और अन्य मूर्तियां दर्शनीय हैं। १४ महावीरजी का मन्दिर (बोरों की सेरी) ___ यह नाहटों और गोलछों की गवाड़ के मध्यवर्ती बोरों की सेरी (सकड़ी गली) में उपाश्रय के सामने है। यह मन्दिर सबसे पीछे बना होन पर भी विशेष रूप से दर्शनीय है। इस संगमरमर के शिखरबन्ध कलापूर्ण जिनालय का स्वर्गीय सेठ भैरोंदानजी कोठारी ने सं० २००२ में बनाया है। इसके भित्ति चित्र बीक.नेर की चित्रशैली के बड़े सुन्दर हैं। जिनमें भगवान महावीर के २७ भव, श्रीपाल चरित्र पृथ्वीचन्द्र गुणसागर चरित्र आदि कई जैन कपानकों का सुन्दर चित्रण है। सामने के बालों में गौतम स्वामी और जिनकुशलसूर की मूर्तियां और उपर तल्ले में वासुपूज्य भगवान की एक देहरी है । | १५ कुंथुनाथजी का मंदिर यह रांगड़ी चौक में बड़े उपाश्रय के ठीक सामने बड़े मौके की जगह पर है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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