Book Title: Bikaner ke Darshaniya Jain Mandir
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 12
________________ ( १० ) २५ पार्श्वनाथजी का मन्दिर इसी रोड़ पर थोड़े आगे कोचरों की बगेची है जिसमें हाल ही में सामने को ओर गुरू मूर्तियां और उनके पीछे पार्श्वनाथ मगवान का मन्दिर बनाया गया है । २६ गौडी पार्श्वनाथजी का मन्दिर गंगाशहर रोड़ के मध्यवतीं घूमचक्कर के पास विशाल भूमि को लिये हुए यह मन्दिर है । सं० १८८६ में इस गौडीपाश्र्व मंदिर का उद्धार हुा । पास ही में समेतशिखरजी का संगमरमर का विशाल पट्ट सेठिया अमीचन्द ने सं० १८८६ में बनाया । दीवाल में दोनों ओर जिनहर्षसूरि और मस्तयोगी ज्ञानसारजी (सामने सेठिया अमीचन्द बैठे हैं) के ऐतिहासिक चित्र हैं। बाहर एक गुरु पादुका मन्दिर में खरतरगच्छ को यह परंपरा के ७० चरण हैं। और पास ही आदिनाथजी का मन्दिर है। २७ संखेश्वर पार्श्वनाथ (सेटूजी का) मन्दिर ___यह श्री गौडी पार्श्वनाथजी के संलग्न व इसी अहाते में हैं । सं० १९२४ में यति श्री सेदजी (समुद्रसोम ) ने इसे बनवाया था। इसके पास ही मस्तयोगी मानसारजी का समाधि मन्दिर है । नरायणजी के नाम से प्रसिद्ध ये बहुत बड़े आध्यात्मिक योगी, राज्यमान्य, काव्यमर्मन्न और प्रमावक पुरुष थे। १८ वर्ष की उम्र में यहां इनका स्वर्गवास सं० १९६८ में हुआ। सं० १६०२ में इस साल में उनके चरण प्रतिष्ठित हुए। इसके पीछे, ही गंगाशहर रोड़ पर जैन कालेज है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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