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१६ अजितनाथजी का मंदिर कुंथुनाथजी के मंदिर के थोड़े श्रागे सुगनजी के उपाश्रय के पीछे के हिस्से में उपर तल्ले में यह देहरासर रूप मंदिर है। पास में जिनकुशलसूरजी का गुरु मंदिर जिसमें दादा गुरू की जीवनी के चित्र हैं और नीचे बंगलो में उपाध्याय क्षमा कल्यास जी की सुन्दर मूर्ति है।
१७ अजितनाथजी का मंदिर कोचरों के मोहल्ले में सिरोहियों के घरों के पास में पांच मंदिर है । जिनमें अजितनाथजी का शिखरबद्ध मंदिर सत्र से प्राचीन है। इसका निर्माण सं० १६६४ के श्रास पास हुआ है। सं० १६६४ की प्रतिष्ठित हीरविजयसूरिजी की मूर्ति मी इसमें सुन्दर है। सं० १८५५-७४ और १९६६ में इसका जीर्णोद्धार होता रहा ।
१८ विमलनाथजी का मंदिर यह अजितनाथजी के मंदिर के पास ही है । सं० १९२४ में कोचर अमीचंद हबारीमल ने इसकी प्रतिष्ठा करवाई ।
१६ पारसनाथजी का मंदिर बह बिमलनाथजी के मंदिर के पास ही है। सं० १८८१ में यह मंदिर बनाया गया।
२० आदिनाथजी का मंदिर
यह उपरोक्त मंदिर से संलग्न है । मूलनायकजी सं० १८६३ में प्रतिष्ठित है। इसमें दोनों ओर दीवालों में चित्रित तीर्थपट्ट बड़े संदर है।
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