Book Title: Bikaner ke Darshaniya Jain Mandir
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 6
________________ गमा त ३ महावीरजी मंदिर ( डागों का) यह उपयुक्त मन्दिर के पास ही डागों की पोल के स मने है। मूलनायक महावीर स्वामी की प्रतिमा जैसलमेरी पाषाण की है और पास की एक देहरी में सं० ११७६ की जांगलकूप से श्राई हुई सुंदर और सपरिकर प्रतिमा है। ४ भांडासरजी सुमतिनाथजी का मंदिर यह मंदिर श्री लक्ष्मीनाथजी के मंदिर और गौशाला के पास की ऊँची भूमि पर अवस्थित है। त्रिभूमिया (तितल्ला), बड़ा विशाल और कला पूर्ण होने से सारे बीकानेर राज्य में यह जिनालय सबसे महत्वपूर्ण व दर्शनीय है। सं० १५७१ में मांडासाहद्वारा यह सुमतिनाथजी का मदिर बनाया गम । तत्कालीन राव लूणकरणजी ने इसका नाम "त्रैलोक्य दीपक" रखा, जो सर्वथा उपयुक्त है। जोधपुर राज्य के सुप्रसिद्ध कलाधाम राख कपुर के त्रैलोक्य दीपक प्रसाद की यह अनुरुति है। मंदिर के परकोटे की लंबाई १७१ से १९० फुट तक है और चौड़ाई १०६॥ से १४४॥ फुट है। समतल भूमि से इसकी ऊंचाई ११२ फुट है। इसके तीसरे तल्ले पर से बीकानेर नगर के चारों ओर का परिदर्शन बड़ा ही सुंदर होता है। इसका शिखर तो करीब ६० कोस की दूरी से (दूरबीन से ) देखा गया है। बाहर की मांति भीतर का दृश्य भी पड़ा ही सुंदर है। अनेको संम व प्रदिक्षणा को जगतो की कलापूर्ण विविध मूर्तियां बहुत ही मनोहर और दर्शनीय है। कुछ वर्षों पूर्व की गई चित्रकारी भी बड़ी सुंदर है। पास ही में सीमंधर स्वामी का स्वतंत्र मंदिर है। प्रत्येक बीकानेर श्राने वाले पानी को इस मन्दिर को तो अवश्य देखना चाहिए। ५ नमिनाथजी का मंदिर यह मांडासरजी के मंदिर के पीछे के श्री लक्ष्मीनाथ पार्क से संलग्न है। वन्छा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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