Book Title: Bhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ चन्द जी दर्शनाचार्य जलपुर ने रांचालन समिति का सदस्य बन वार अकादमी के के कार्य संचालन में जो सहयोग दिया है उसके लिये हम इन सभी महानुभावों के प्राधारी है। इसी तरह करीब ५० से भी अधिक महानुभायों ने अकादमी की विशिष्ट सदस्यता स्वीकार की है। उन सब महानुभावों के भी हम पूर्ण प्राभारी है । आशा है भविष्य में सदस्य बनाने की दिशा में और भी तेजी श्रावेगी जिससे पुस्तक प्रकाशन रहे कार्य में और भी गति अधिवा पा सके । सहयोग अकादमी के सदस्य बनाने में वैसे तो सभी महानुभावों का सहयोग मिलता रहता है लेकिन यहां हम श्री ताराचन्द जी प्रेमी के विशेष रूप से आभारी है जिन्होंने अकादमी के साहित्यिक गतिविधियों में रूचि लो हुए नवीन सदस्य बनाने के अभियान में पूरा सहयोग दिया है। इनके अतिरिकपं० मिलाप चन्द जी शास्त्री जयपुर, डा० दरबारीलाल जी कोठिया वाराणसी, पं० सत्यन्धर कुमार जी सेठी उज्जन, डा० भागचन्द जी भाग पनाह आदि म. जशे सहयोग प्राप्त होता रहता है जिनके हम विशेष रूप से प्रभारी हैं। सन्तों का शुभाशीर्वाद अकादमी को सभी जैन साता का शुभाशीर्वाद प्राप्त है ! परम पूज्य गाचार्य विद्यासागर जी महाराज, एलाचामं श्री विद्यानन्दजी महाराज, काचार्य कल्प श्री श्रुतसागर जी महाराज, १०८ गुनि श्री वर्धमान सागर जी महाराज, पूजा क्ष ल्लक श्री सिद्धसागर जी महाराज लाडनू वाले, भट्टाक जी श्री चारूकीति जी महाराज मूडबिंदी एवं श्रवणबेलगोला आदि सभी सम्तों का शुभाशीर्वाद प्राप्त है। अन्त में समाज के सभी साहित्य प्रेमियों से अनुरोध है कि श्री श्री महावीर ग्रंथ अकमी के स्वयं सदरम बन कर तना अधिक से अधिक संख्या में दूसरों को सदस्य बनाकर हिन्दी जन साहित्य के प्रकाशन में अपना योगदान देने का कष्ट करें। सा० कस्तूरचन्द कासलीवाल निदेयाक एवं प्रधान संपादक

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 269