Book Title: Bhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Author(s): Jawaharlal Aacharya
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 276
________________ 'भिज्जंति' आदि पदों का संग्रह काने के लिए जो गाथा कही गई है, उसका तात्पर्य यह है कि इन सब पदों को इसी प्रकार समझना चाहिए । अठारह सूत्रों में से यह बतलाया जा चुका है कि नरक के जीव कितने प्रकार के पुद्गलों को भेदते हैं, चय करते हैं, उपचय करते हैं, उदीरणा, वेदना, निर्जरा, अपवर्तन, संक्रमण, निधत्तन और निकाचन करते हैं? इन सूत्रों में से अन्त के चार सूत्रों में तीनों काल जोड़ देना चाहिए, जिसमें यह बारह हो जाएंगे और प्रारम्भ के छह सूत्रों इनमें मिला देने से सब की संख्या अठारह हो जायेगी यह अठारह सूत्रों का व्याख्यान हो गया । श्री भगवती सूत्र व्याख्यान २६५

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