Book Title: Bhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Author(s): Jawaharlal Aacharya
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 285
________________ तीसरा प्रश्न है- वेदना चलित कर्म की होती है या अचलित कर्म की? इस प्रश्न का उत्तर भी यही है कि अचलित कर्म की वेदना होती है, चलित कर्म की नहीं। तात्पर्य यह है कि जो कर्म जीव-प्रदेश से चलित हो गया है, वह जीव को अपने फल देने में समर्थ नहीं हो सकता। जो जहां स्थित नहीं है, वह वहां फल भी उत्पत्र नहीं कर सकता। चौथा प्रश्न है-तीव्र रस का मंद रस आदि अचलित कर्म का होता है या चलित कर्म का? इस प्रश्न का भी वही उत्तर है कि उचलित कर्म का होता है, चलित का नहीं। इसी प्रकार पाँचवां प्रश्न संक्रमण का, छठा निधत्त का और सातवां निकाचित का है। इन सब प्रश्नों का उत्तर एक ही है-अचलित कर्म का ही संक्रमण, निधत्तन और निकाचन होता है। आठवां प्रश्न निर्जरा के संबंध में है। निर्जरा चलित कर्म की होती है, अचलित की नहीं। आत्मप्रदेशों से कर्म- पुद्गलों को हटा देना निर्जरा है। अचलित कर्म आत्मप्रदेश से हटते नहीं हैं, चलित कर्म ही हटते हैं। इसलिए निर्जरा चलित कर्म की होती है, अचलित कर्म की नहीं। इन आठ प्रश्नों की संग्रह गाथा में यही बात कही गई है। बंध-उदय, वेदना, उदीरणा, अपवर्तन, संक्रमण, निधत्त और निकाचित, इन सात प्रश्नों में अचलित कर्म कहना चाहिए और आठवें प्रश्न निर्जरा से चलित कर्म कहना चाहिए। २७४ श्री जवाहर किरणावली

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