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धर्म और नीति (रात्रि भोजन) १५३
४८५ अन्न आदि चतुर्विध आहार का रात्रि मे सेवन नही करना चाहिए तथा दूसरे दिन के लिए भी रात्रि मे खाद्य पदार्थ का संग्रह करना निषिद्ध है । अतः रात्रि भोजन का त्याग वास्तव मे बडा दुष्कर है।
४८६ जिस प्रकार दूर-देशान्तर से व्यापारी द्वारा लाये हुए बहुमूल्य रत्नो को राजा लोग ही धारण कर सकते है। इसी प्रकार तीर्थंकर द्वारा कथित रात्रि भोजन त्याग के साथ पंचमहावतो को कोई विशिष्ट आत्मा ही धारण कर सकती है।
४८७ निर्ग्रन्थ मुनि रात्रि के समय किसी भी प्रकार का आहार नही करते।