Book Title: Bhagavana Mahavira ki Suktiya
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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मोह
હ૬ર इत्थ मोहे पुणो पुणो सन्ना, नो हव्वाए नो पाराए
६६३ एगं विगिचमाणे पुढो विगिचइ
९६४ असकियाई सकंति, सकियाई असकिणो
जहाय अंडप्प भवा बलागा, अड़ बलागप्पभवं जहाय, एमेव मोहाययणं खू तण्हा, मोहं च तण्हाययणं वयंति
६६६ दुक्ख हयं जस्सन होई मोहो
६६७ मोहा विगई उवेइ

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