Book Title: Bhagavana Mahavira ki Suktiya
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
View full book text
________________
श्या
६८५
किण्हानोलाय काउ य, तेऊ पम्हा तहेव य सुक्कलेसा य छठ्ठा य, नामाइ तु जहक्कमं
१८६
अंतमहत्तम्मि गए अत, मुहत्तम्मि सेसए चेव लेसाहि परिणयाहि, जीवागच्छन्ति परलोयं
६८७
तम्हा ए यासि लेसारण, अणुभावे वियारिया ग्रप्पसत्थान वज्जिता पसत्थाऽहिट्ठिएमुरणी
लेस
६८८
समाहट्टू परिवयेज्जा

Page Navigation
1 ... 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355