Book Title: Bhagavana Mahavira ki Suktiya
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 335
________________ षड़ावश्यक सामायिक से जीव क्या पाता है ? सामायिक से जीव के सावद्ययोगो की निवृत्ति होती है। १००० चतुर्विशतिस्तव करने से क्या फल होता है ? चतुर्विशतिस्तव से दर्शन विशुद्धि होती है। १००१ हे भगवन् ! वन्दना करने से जीव क्या फल पाता है ? वदना से नीचगौत्र कर्म का क्षय होकर ऊ च गौत्र कर्म बघता है अविच्छिन्न सौभाग्य तथा आज्ञाफल प्राप्त करता है और विश्ववल्लभ होता है। १००२ प्रतिक्रमण से जीव क्या फल पाता है ? इससे व्रत मे हुए छिद्रो को ढंकता है, फिर शुद्ध व्रतधारी होकर आश्रवो को रोकता है। आठ प्रवचन माता मे सावधान होता है । शुद्ध चारित्र पालता हुआ समाधि पूर्वक सयम मे विचरता है।

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