Book Title: Bhagavana Mahavira ki Suktiya
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 337
________________ अध्यात्म और वर्शन (षड़ावश्यक) ३२७ १००३ है भगवन ! कायोत्सर्ग का क्या फल है ? कायोत्सर्ग से भूत और वर्तमान काल के अतिचारो की शुद्धि होती है । इस शुद्धि से बोझ रहित हल्का, निश्चिन्त और प्रशस्त ध्यान युक्त होकर सुखपूर्वक विचरता है। १००४ हे भगवन । प्रत्याख्यान से जीव को क्या फल प्राप्त होता है ? प्रत्याख्यान से जीव आश्रवद्वारों को बन्द कर देता है । इच्छा का निरोध होता है । इच्छानिरोध होने से जीव सभी द्रव्यो से तृष्णा रहित होकर शान्ति से विचरता है। १००५ कई लोग छोटी छोटी बातो पर क्षुब्ध हो जाते है । १००६ उम्र और यौवन प्रतिपल व्यतीत हो रहा है। १००७ देह को भले ही त्याग दे, पर अपने धर्मशाशन को न त्यागे । १००८ जिनेश्वर देव की आज्ञा के पालन मे ही धर्म है ।

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