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. कर्तव्य
५१० अकर्तव्य का परिवर्जन कर दें।
५११ सभी सुकृत्य मनुष्यो के लिए अच्छा फल लाने वाले होते हैं।
___५१२ जिस श्रद्धा के साथ धर्म मार्ग पर निकले उसी अनुसार उसका अनुपालन करे।
५१३, अनासक्त महापुरुष न तो जीवन की आकाक्षा करे और न मृत्यु की ही आकाक्षा करे ।
५१४ जो अनर्थ रूप है उन्हे सर्वथा छोड़ दे।
५१५ नानदर्शन चारित्र मे वृद्धपुरुपो के प्रति विनय रखना चाहिए ।
५१६ मूर्ख आदमियो के संसर्ग से दूर रहो।
५१७ आत्मा का अनुसंधान करने वाला चारित्र शील हो।