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८८१
दानो मे श्रेष्ठ अभय दान है ।
अभय
८८२
भय से डरना नही चाहिए । भयभीत मानव के पास भय शीघ्र आते हैं ।
८८३
भयभीत मनुष्य किसी का सहायक नही हो सकता ।
८८४
भयाकुल मानव ही भूतो का शिकार होता है ।
८८५
स्वयं डरा हुआ व्यक्ति दूसरो को ज़रा देता है ।
८८६
भयभीत व्यक्ति तप और सयम की साधना छोड़ बैठता है भयभीत किसी भी दायित्व को निभा नही सकता है ।
८८७
आकस्मिक भय से, व्याधि से, रोग से, बुढापे से और तो क्या मृत्यु से भी कभी डरना नही चाहिए ।
८८८
सब दानो मे अभय दान श्रेष्ठ है ।