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गौतम स्वामी को भगवान ने दुपमदुषमाकाल का विस्तृत परिचय दिया और भारत के भविष्य के सम्बन्ध में बहुत कुछ बताया। अन्य काल-व्यवस्थाओं का भी परिचय दिया और कालचक्र पर विजय पाने के अमोघ साधन धर्माराधना को बताया।
अव भगवान महावीर अन्तिम चातुर्मास के लिये पावापुरी की ओर जा रहे थे, मानो सूर्य अस्ताचल की ओर प्रस्थान करने को प्रस्तुत था। पावापुरी की ओर बढ़ते प्रभु-चरणो मे शत-शत प्रणाम कर विराम ले रही है मेरी लेखनी।