Book Title: Auppatiksutram
Author(s): Abhaydevsuri, Dronacharya, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 212
________________ औपपातिकम् जीवोप० स०४१ ॥१०४॥ वेसेसु मणुया भवंति, तंजहा-अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा धम्मखाई धम्मप्पलोइया धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणासुसीला सुव्वया सुप्पडियाणंदा साहहिं एकच्चाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावजीवाए एकचाओ अपडिविरया एवं जाव परिग्गहाओ' एकच्चाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोहाओ पेज्ज्ञाओकलहाओ अब्भक्खाणाओ पेसुण्णाओ परपरिवायाओअरतिरतीओमायामोसाओमिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया, ए. कच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओं अपडिविरया, एकच्चाओ करणकारावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया एगचाओपयणपयावणाओपडिविरया जावजीवाए एकच्चाओ |पयणपयावणाओ अपडिविरया, एकच्चाओ कोहणपिट्टणतजणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया, एकच्चाओ पहाणमद्दणवण्णगविलेवणसद्दफरिसरसरूवगंधमल्लालंकाराओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया, जेयावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोवहिया कम्मंता परपा परियावणकरा कजंति तओ जाव एकचाओ अपडिविरया तंजहा-समणोवासगा भवंति, अभिगयजी वाजीवा उवलद्धपुण्णपावा आसवसंवरनिजरकिरियाअहिगरणबंधमोक्खकुसला असहेज्जाओ देवासुरणागजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कम १ प्रतिविरताप्रतिविरतत्वसूचनार्थमेष द्विकः. ॥१०४॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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