Book Title: Auppatiksutram
Author(s): Abhaydevsuri, Dronacharya,
Publisher: Agamoday Samiti
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औपपातिकम्
॥१०८॥
हणंति ? कम्हा णं केवली समुग्धायं गच्छति ?, गोयमा ! केवलीणं चत्तारि कर्म्मसा अपलिक्खीणा भवति, | तंजहा - वेयणिज्जं आउयं णामं गुत्तं सव्वबहुए से वेयणिजे कम्मे भवइ, सव्वत्थोवे से आउए कम्मे भवइ, विसमं समं करेइ बंधणेहिं ठिईहि य, विसमसमकरणयाए बंधणेहिं ठिईहि य एवं खलु केवली समोहणंति एवं खलु केवली समुग्धायं गच्छति । सब्वेवि णं भंते ! केवली समुग्धायं गच्छति ?, णो इणट्ठे समट्ठे, 'अ | कित्ता णं समुग्धायं, अनंता केवली जिणा । जरामरणविप्पमुक्का, सिद्धिं वरगईं गया ॥ १ ॥ कइसमए णं भंते ! आउजीकरणे पण्णत्ते ?, गोयमा ! असंखेजसमइए अंतोमुहुत्तिए पण्णत्ते । केवलिसमुग्धाए णं भंते ! | कसमइए पण्णत्ते ?, गोयमा ! अट्ठसमइए पण्णत्ते, तंजहा- पढमे समए दंड करेइ थिइए समए कवाडं करेइ तईए समए मंथं करेइ चउत्थे समए लोयं पूरेइ पंचमे समए लोयं पडिसाहरइ छट्ठे समए मंथ पडिसाहरइ सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरइ अट्टमे समए दंडं पडिसाहरइ पडिसाहरित्ता तओ पच्छा सरीरत्थे भवइ । | सेणं भंते ! तहा समुग्धायं गए कि मणजोगं जुंजइ ? वयजोगं जुंजइ ? काययोगं जुंजइ ?, गोयमा ! णो मणजोगं जुंजइ णो वयजोगं जुंजइ कायजोगं जुंजइ, कायजोगं जुंजमाणे किं ओरालियसरीरकायजोगं जुजइ ? ओरालियमिस्स सरीरकायजोगं जुंजइ ? वेडव्वियसरीरकायजोगं जुंजइ ? वेडव्वियमिस्ससरीरकायजोगं जुंजइ ? आहारसरीरकायजोगं जुंजइ ? आहारसरीर मिस्सकायजोगं जुजइ ?, कम्मासरीरकायजोगं जुंजइ ?, गोयमा ! ओरालिय सरीरका यजोगं जुंजइ, ओरालियमिस्ससरीरकायजोगंपि जुंज, णो वेउब्वियसरीरका
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समुद्घा०
सू० ४२
॥१०८॥
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