Book Title: Atma Siddhi
Author(s): Shrimad Rajchandra, J L Jaini
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 22
________________ Boo ATMA-SIDDHI उसके अनुभवमें आता है । समस्त विभाव पर्यायोंमें केवल अपने ही अभ्यास से एकता हुई है, उससे अपनी सर्वथा भिन्नता ही है, यह उसे स्पष्ट - प्रत्यक्ष - अत्यंत प्रत्यक्ष-अपरोक्ष अनुभव होता है । विनाशी अथवा अन्य पदार्थके संयोग में उसे इष्ट-अनिष्टभाव प्राप्त नहीं होता। जन्म, जरा, मरण, रोग आदिकी बाधारहित, सम्पूर्ण माहात्म्यके स्थान ऐसे निज-स्वरूपको जानकर - अनुभव करकेवह कृतार्थ होता है । जिन जिन पुरुषोंको इन छह पदोंके प्रमाणभूत ऐसे परम पुरुषके वचनसे आत्माका निश्चय हुआ है, उन सब पुरुषोंने सर्व स्वरूपको पा लिया है । वे आधि, व्याधि, उपाधि और सर्वसंगसे रहित हो गये हैं, होते हैं, ओर भविष्य में भी वैसे ही होंगे। 9 These such six padas (spiritual steps) propounded by the venerable enlightened personages as principal abode of right perception (Samyag Darshana), are stated here in brief. To any soul, whose emancipation ( salvation ) is nearby, these padas (spiritual steps) are likely to be proven on slightest thought, are likely to be felt as supreme reality, are likely to create in his soul their discrimination with all-sided details. These six padas (spiritual steps) are absolutely beyond doubt,-this is so propounded by the supreme personage. The discrimination Jain Education International Antho For Private & Personal Use Only 'www.jalnelibrary.org

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