Book Title: Ashtpahud Author(s): Parasdas Jain Publisher: Bharatvarshiya Anathrakshak Jain Society View full book textPage 3
________________ विIKARAN भारतवर्षीय अनाथ रक्षक जैन सोसायटी देहली के आनरेरी जनरल सेक्रटरी तथा ट्रस्टी. ला० जगत प्रसाद जी. M.A., B.Sc.,C.I.E.. A.G.P. & L., (Retd.) आप जैन समाज में एक उच्च कोटि के दार्शनिक विद्वान हैं। धर्म प्रचार, शिक्षा तथा स्पोर्टस् (Sports) से आपको विशेष प्रेम है । आपकी हार्दिक भावना है कि अन्य मतावलम्बियों में भी जैन धर्म का अधिक से अधिक प्रचार हो। अमेरिका, जर्मनी आदि देशों से जो स्कालर रिसर्च के लिये आते हैं, वे जैन धर्म की जानकारी के लिये आपसे अवश्य मिलते हैं। आप श्री कुन्दकुन्द स्वामी के अनन्य भक्त हैं तथा उनके ग्रन्थों का अंग्रेजी अनुवाद विशेष उत्साह से कर रहे हैं। जिनके प्रकाशन के लिये सोसायटी में ट्रेक्ट विभाग चालू कर प्रथम पुष्प के लिये १०००) रु० प्रदान किये हैं। -रघुवीरसिंह कोठी वाले, मन्त्री-ट्रेक्ट विभाग सब कमेटी.Page Navigation
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