Book Title: Ashtdashi
Author(s): Bhupraj Jain
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta

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Page 297
________________ बुद्ध के सन्देश को सुदूर क्षेत्रों में पहुंचाने का निभाया था, उसी तरह महावीर की अहिंसा सन्देश वीर की सन्तानें संभालें। प्रभु उनको इसके लिए शक्ति दें। भारत सरकार गाँधीवादी संस्थायें जैन समाज, अहिंसा प्रिय प्रज्ञावान लोग इस जिम्मेवारी में अग्रसर का रोल अदा करें, अहिंसा के विभिन्न पहलुओं पर लेख, चर्चायें, संवाद, नाटक, वाद-विवाद, नजरिया, टी०वी० कार्यक्रम २ अक्टूबर से पहले संकलित हो ताकि मीडिया चाहे अखबार, पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, टी०वी० हो अहिंसा के बारे में प्रचुर युक्ति संगत दिल-दिमाग को छूने वाली सामग्री उपलब्ध रहे एकमात्र ऐसा प्रयास अहिंसा दिवस की सार्थकता सिद्ध कर सकते हैं पूरी दुनियाँ में । मीडिया चाहे टी०वी०, रेडियो, पत्र-पत्रिकाओं में भी चाहिये २ अक्टूबर के दिन कार्यक्रमों में पठनीय सामग्री में अहिंसा को मुख्य थीम बनावें। पूरा होम वर्क, फील्ड वर्क, डेस्क वर्क, चिन्तन, लाइब्रेरी वर्क, सम्पर्क, खोज, शोध पूरा-पूरा करें, शक्ति दूरदर्शिता से करें आज अगर मीडिया इन पहलुओं को शक्ति के साथ उजागर करता है, तो जनमानस बदलेगा, दिल बदलेगा। दिल बदलेगा तो अहिंसा दिलों में जगह लेगी, हिंसा का निवारण होगा, शान्ति की स्थापना होगी। प्रज्ञावान, उच्चस्थ अधिकारी शासनाध्यक्ष, सेनापति एवं रक्षा विश्लेषक, सन्तमहात्मा, चिन्तक - लेखक सबके विचार अहिंसा के विषय पर मीडिया जन-जन को परोसे, अहिंसा के पक्ष में जनाधार बनावे | प्रेम, अहिंसा, करुणा हर एक हृदय से झरे । , विश्व की हर एक राजनधानी में शासनाध्यक्ष अहिंसा दिवस पर राष्ट्रीय आयोजन करें। उससे हर एक नागरिक तक विचार प्रवाह होगा। उस दिन समस्त मीडिया अहिंसा के पक्षधरों को खंगाले। उनका सोच-विचार, दर्शन जन-जन तक पहुंचाये। यही एक तात्कालिक रास्ता है अहिंसा के पक्षधरों एवं पुरोधों को चाहिये कि मीडिया संसार को इस बीड़े को उठाने के लिए प्रेरित करे तैयार करे उनसे इस प्रयास में सहकार करे। इस वर्ष के कार्यक्रमों की फिर समीक्षा करें और अगले वर्ष के कार्यक्रमों के लिए और उन्नत जमीन तैयार करें। 1 1 अहिंसा दिवस पर कार्यक्रमों के साथ-साथ वर्षभर सन्देश प्रवाहित रहे इसके लिए अहिंसा प्रचार संघ बने, प्रचारकों, के प्रशिक्षण की व्यवस्था बने, विभिन्न अहिंसा प्रचार संस्थानों का समन्वय सुनिश्चित हो । अहिंसा के सन्देश के प्रतीकात्मक अहिंसा द्वार, शान्ति स्तूप, शान्ति स्तम्भ दुनिया के हर एक शहर के प्रमुख भाग में बनाये जायें। बच्चों में अहिंसा के प्रति रूझान Jain Education International पैदा करने के लिए शिक्षा में प्रयुक्त पुस्तकें, पाठ्य सामग्री में अहिंसा के विषय पर प्रस्तुति हो । अहिंसा संघ, इन्टरनेट पर जानकारी परक वेब साइट, उत्तर प्रत्युत्तर व्यवस्था करे तो बहुत अच्छा होगा । अहिंसा के वस्तु विषय पर सामग्री हिन्दी और भारतीय भाषाओं से भी अधिक अंग्रेजी, चाइनीज, फ्रेन्च, स्पेनीश, कोरियन, जापानी, उर्दू, अरबिक, हिब्रू आदि सभी देशों की स्थानीय भाषाओं में आवश्यकता है। यह काम गिनाना आसान है, करना-करवाना, दुसाध्य एवं अति सघन साधनों के बिना नहीं होने वाला है। लेकिन अहिंसा के समर्पित लोग अगर सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा बोझ भी संभालें तो यह चमत्कारी काम कोई कठिन नहीं । आइये आगे आयें, अहिंसा के बढ़ावे के लिए वातावरण बनायें, विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की इस पहल का स्वागत, सहकार करें अहिंसा की विचारधारा विश्व में सशक्त बने, हिंसा का निवारण हो, मानव-मानव से भयमुक्त हो, हर एक के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए अहिंसा एक माध्यम बने। अहिंसा प्रिय लोग, अहिंसा पुरोधा, प्रज्ञावान नागरिक अपनी जिम्मेवारी इस संदर्भ में समझे और निभावे, गाँधी जयनती, अहिंसा की जननी बने, अहिंसा हर एक की जीवन-यात्रा को प्रभावित ही न करे, सारी जीवनयात्रा ही हर एक नागरिक की अहिंसामय बन जाये। यही अहिंसा दिवस मनाना होगा, यही अहिंसा को मानना होगा, यही अहिंसा मानव को प्रलय की असुरक्षा से बचायेगी । अहिंसा हमारा भविष्य है, अहिंसा शान्ति और सुरक्षा की गारन्टी है। । " ० अष्टदशी / 206 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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