Book Title: Ashtdashi
Author(s): Bhupraj Jain
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta

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Page 338
________________ श्रद्धांजलि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री दीपचंद नाहटा चुरू जिले के अग्रणी कस्बे सरदारशहर के प्रमुख नाहटा परिवार में श्री दीपचंद नाहटा का जनम ११ नवम्बर १९२६ को हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा सरदारशहर में सम्पन्न हुई। तदुपरान्त आप महामना मालीवय जी और डॉ० राधाकृष्णन के भाषण सुनने व अध्ययन हेतु काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के छात्र बने एवं वहां आपने आई० कॉम० को परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद आपने कलकत्ता विश्व विद्यालय से बी०कॉम० की परीक्षा उत्तीर्ण की। बचपन से ही आपका विश्वास महात्मा गांधी के आदर्शों में था । सन् १९४२ की बात है। महाराजा श्री गंगासिंहजी के शासनकाल में बीकानेर स्टेट में गांधी जयन्ती नहीं मनाने दी जाती थी। इसका विरोध प्रकट करने के लिए आपने और आपके कुछ मित्रों ने महाराजा श्री गंगासिंहजी की जयन्ती मनाने का विरोध किया। इससे क्षुब्ध होकर राज्य सरकार ने श्री दीपचन्द नाहटा एवं आपके मित्रों को छ: छ: बेंतें लगाकर विद्यालय से निष्कासित कर दिया। उनका शांत क्रान्ति में अटूट विश्वास था । श्री नाहटा का विश्वास है कि गांधी दर्शन को अपनाये बिना आज की विषम परिस्थितियों में छुटकाना पाना कठिन है । प्रेम, शांति, सादगी, संयम, अहिंसा, करुणा सेवा, नैतिकता और साधनों की पवित्रता का नाम है- गांधी। गांधी आज के ही नहीं Jain Education International है कल के ही नहीं थे, वे आने वाले भविष्य के भी सर्वश्रेष्ठ आस्था केन्द्र हैं। यह नई सहस्राब्दी गांधी की ओर टकटकी लगाये हैं। गांधी ही उसके लिये एक मात्र त्राण स्थल है । उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया और आजीवन गांधीवादी विचार-धारा के प्रबल समर्थक रहे। श्री नाहटा की रुचि साहित्य की विभिन्न क्षेत्रों में रही। साहित्यकार कविवर श्री कन्हैयालाल सेठिया, श्री सिद्धेश्वर प्रसादजी पूर्व राज्यपाल त्रिपुरा, पंडित श्री अक्षयचन्दजी शर्मा, डॉ० प्रभाकर श्रोत्रिय, श्री सन्हैयालालजी ओझा एवं श्री यशपाल जैन आदि अनेक बुद्धिजीवियों, लेखकों से आपका निरन्तर सम्पर्क बना रहा एवं उनका सान्निध्य भी आपको प्राप्त हुआ। श्री नाइटा कई विशिष्ट व्यक्तियों के अभिनन्दन ग्रंथ समितियों के मंत्री रहे। आपके निर्देशन और नेतृत्व में कालजयी सेठ सोहनलाल दूगड़ स्मृति ग्रंथ और प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका स्मृति ग्रंथ का भव्य प्रकाशन संभव हुआ । सामाजिक सेवा उद्देश्य से श्री नाहटा ने कुन्दनमल दीपचन्द नाहटा चेरिटेबुल ट्रस्ट की स्थापना की। इस ट्रस्ट के द्वारा गांधी विद्या मन्दिर के राजस्थान सरकर की स्कीम के अन्तर्गत श्रीमती मोहनीदेवी नाहटा (धर्मपत्नी दीपचन्द नाहटा ) की स्मृति में छात्रावास का निर्माण किया गया। इस ट्रस्ट के द्वारा समय-समय पर निःशुल्क नेत्र परीक्षण, चश्मा वितरण, हेपिटाईटिस बी के टीके भी उपलबध कराये गये एवं कई वर्षों से आज भी मित्र मन्दिर नामक संस्था के सौजन्य से निःशुल्क होमियोपैथी चिकित्सा कोलकता में अनवरत जारी है। श्री नाहटा दानवीर सेठ सोहनलाल दूगड़ स्मृति न्यास के ट्रस्टी हैं। जिसके अन्तर्गत फतेहपुर में सेठ सोहनलाल दूगड़ मेमोरियल बालिका विद्यालय चलाया जा रहा है तथा आपकी प्रेरणा, अनवरत प्रयास एवं अपूर्व लगन के कारण सोहन लाल दूगड़ मेमोरियल महाविद्यालय का कलकत्ता में निर्माण करने का प्रयत्न जारी है। अपने शिक्षा काल के तुरन्त बाद ही आप चाय उत्पादन टी गार्डेन के अपने पुस्तैनी कार्य से जुड़े। श्री नाहटा ने दो महत्वपूर्ण उपलब्धियों हासिल की- १. चाय उत्पादन संबंधी कई प्रयोग आपने अपने चाय बागान में किये, जिसकी सफलता को देखकर अन्य चाय बागानों ने उन पद्धतियों को अपनाया । २. आज से ४० वर्ष पूर्व असम में गेहूं की खेती नहीं के बराबर की जाती थी वहां आपने स्वयं गेहूं का उत्पादन करना शुरू किया और उसमें अच्छी सफलता अर्जित की। ० अष्टदशी / 247 O For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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