Book Title: Ashtapad Maha Tirth Part 01
Author(s): Rajnikant Shah, Kumarpal Desai
Publisher: USA Jain Center America NY

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Page 10
________________ Blessings from Pujya Ganivarya Naypadmsagar M.S. नीलाशाह निशासन सेवारत्न, विद्धान सुनावणी.. सस्नेरकर्मसात्म. जत्यंत जानध्यायसमायार भनीने मायना तथा V-C.मनासूरप्रयत्नांथा नष्टापहमहातीर्थ शोक-पुनीतजर्ययासों रख्यछे. प्रथमतीर्थर मनुनी निर्वाजाभूमिमौसखंदारछेजामहानतीर्थ अन्नसन्दिनिधान गुरुगीतमस्वामिसायजा पवित्र तीर्थभेडायेjमाज-मनोरोया तिहासछमामहातीर्थनो.समयसंसारनीसामेधर्मगंधो-सन्यधर्मग्रंथां-तिहासापुरातत्वना मनकारविद्रानो तथा जापसर्वहारापोहेलनिप्पलशीयनुसंटर प्रडाशनसायडरवा रख्याछो तेनो जत्यंत आनंहहे. हायमा पवित्रतार्थनासारसोसव्यवरिथन-माहीती सलर-पूर्ग विस्तार वाजाप्रथमग्रंथस्रो अमेरीकामांनाये स्वाट्यी शरीरत्न तथा विविध रत्नप्रतिमाजोडारासापहतीर्थनी स्थापना प्रतिष्ठारावी तेपानमालुतो विशेषजानंहनेले भाववर्षमाशोपहर्ता घुटारजोनछेसासमयेसाजरेसंडार्यजन छेजाशंथनावांयनोसराहनीनामाध्यमे सर्वात्मानोमोध्यनेपामेनेटमंगसत्भावना eratयययसागर

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