Book Title: Apbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak Author(s): Premchand Jain Publisher: Sohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti View full book textPage 5
________________ समर्पण कहा विअक्खण गाणगुरु, वन्ध णिवन्ध सुहाउ । नव दस्सण मइ सहअ मण, गुरुवर सीव पसाउ ॥ जिण्ह अवहंस अगाह दह, कियउ पंथ निम्माण । तिन्ह केरउ कर कवल मँह, अप्पिय सोह पमाण ॥ पूज्य गुरुवर डा० शिवप्रसाद सिंह जी एवं वन्दनीया माँ श्रीमती धर्मा जी के कर-कमलों में सादर सविनय समर्पितPage Navigation
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