Book Title: Aparajitaprucchha
Author(s): B Bhattacharya
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 774
________________ ५९० सरस्वत्यर्चन गुरुशिष्य सम्बन्धलक्षणं त्रिंशदुत्तर द्विशततमं सूत्रम ॥ गुरोः शिष्यस्य सम्बन्धाद् ज्ञानं वै चित्रभूमिकम् । शेषा रजरसचित्रं ? सम्बन्धाश्च परस्परम् ॥ ३० ॥ X X x सविन्यासस्य संबन्धं सर्व सर्वतोद्भवम् ? ॥ ३९ ॥ कुंलालस्य सम्बन्धं स्थानसाधन...! धर्मार्थकाममोक्षाणां साधनम्॥ ४० ॥ इति सूत्रसन्तानगुणकीर्तिप्रकाश प्रोक्तृ श्रीभुवन देवाचार्योक्ता पराजित पृच्छायां सरस्वत्यर्चन गुरुशिष्यसम्बन्धलक्षणाधिकारो नाम त्रिंशदुत्तरद्विशततमं सूत्रम् ॥

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