Book Title: Anusandhan 2016 09 SrNo 70
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 8
________________ जुलाई-२०१६ | सम्पादन . पञ्चतीर्थकरस्तोत्राणि - सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय आ कृतिमां श्रीआदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ अने महावीरस्वामी एम पांच तीर्थंकरोना पांच लघु स्तोत्रो संस्कृतभाषामां निबद्ध छे. दरेक स्तोत्र पांच पांच विविध छन्दोमां रचायेल छे. पांचेय स्तोत्रो अतिशय भावप्रवण छे. काव्यशैली मनोहर छे. कर्तानो कोई निर्देश कृतिमां क्यांय करायो नथी तेथी कर्ता अज्ञात रहे छे. प्रतिपरिचय : आ प्रति जोधपुर (राजस्थान)स्थित राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठाननी २११३८/२ क्रमांङ्कित प्रति छे. पत्र १ ज छे. . अक्षरो सुवाच्य अने सुन्दर छे. लेखनशैली शुद्ध छे. प्रतिलेखक पं. चारुदत्तगणि छे, एवं छेडे लखायेल पुष्पिकाथी जणाय छे. लेखन संवत् निर्देशायेल नथी छतां लेखनशैली जोतां १६मा सैकाना उत्तरार्धनी होय तेवू जणाय छे. (१) श्री आदिनाथलघुस्तोत्रम् जय जय जगदानन्द !, जय जय वरनाभिनन्दन ! जिनेन्द्र ! । जय जय करुणासागर !, मनोरथा अद्य फलिता मे ॥१॥ अद्य मे सफलं जन्म, अद्य मे सफला क्रिया । प्रयासः सफलो मेऽद्य, दर्शनादादिमप्रभोः ॥२॥ प्रातरुत्थाय येनाऽयमादिदेवो नमस्कृतः । हेलया मोहभूपालस्तेन नूनं तिरस्कृतः ॥३॥ सुकृतं सञ्चितं तेन, दुष्कृतं तेन वञ्चितम् । येन प्रथमनाथस्य, चरणाम्भोजमञ्चितम् ।।४।। त्रिभुवनाभयदानविधायिने, त्रिभुवनाद्भुतवाञ्छितदायिने । त्रिभुवनप्रभुतापदशालिने, भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥५॥ ॥ इति श्रीआदिनाथलघुस्तोत्रम् ॥

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