Book Title: Anusandhan 2016 09 SrNo 70 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ आ प्रकारना सर्वदेशीय अने सर्वमान्य विद्वज्जन, कदाच, तेओ छेल्ला हशे. आ कक्षाना बीजा विद्वान कोई होय तो ते जाणमां नथी. एटले, थोडा ज दिवसो अगाऊ थयेली तेमनी चिरविदायथी गुजरातनुं, भारतनुं अने विश्वनुं विद्याक्षेत्र वधु दरिद्र बन्युं छे, एम अतिशयोक्ति वगर कही शकाय. एमना विद्यापूत आत्माने अंजलि हो ! - - 'अनुसन्धान'नो हवे पछीनो अङ्क डो. ढांकीनी स्मृतिमा विशेष अङ्क तरीके प्रकाशित थनार छे. आ माटे शोध-लेख अथवा/अने स्मरण-लेख मोकलवा विद्वानोने आमन्त्रण छे. - शी. आवरणचित्र विषे आ अङ्कमां 'वस्तुपालादिप्रशस्तिसंग्रह' नामक लेख छे, तेमां गिरनार तीर्थना स्मृति-स्तम्भ विषे निर्देश थयेलो छे, ते सन्दर्भ साथे सम्बन्ध धरावती आ छबीओ छे. वर्षो अगाउ गिरनार उपर यात्राए जवानुं थयुं त्यारे त्यां 'मनोहरभुवन'मां रात्रि-रोकाण करेलुं, तेना कम्पाउन्डमां आवा थोडाक स्तूपो के स्तम्भो वेरविखेर पडेला, अने तेमनी शोचनीय हालत प्रत्यक्ष निहाळेली. ते वखते तेना फोटो पण पडावेला - फोटोग्राफरने बोलावीने. ते पछी पेढीना प्रमुखश्रीने तेनी काळजी लेवानुं समजावेल. जो के पछी ते बधा- शुं थयुं तेनी जाण नथी. परन्तु ते समये त्यां रखडता पडेला समाधिस्तम्भनी बे तसवीरो अहीं आपी छे.Page Navigation
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