Book Title: Anusandhan 2009 12 SrNo 50
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 88
________________ डिसेम्बर-२००९ ७५ इत्यादि सकलगुणनिधान, सकलक्रियासावधांन, सकलकलालंकृत, सकलजननलिनदिवाकर, सकलनरिंदपूजनीक, सकलसिद्धसिरोमणि, सकलसाधुनभोमणि, वादीमानमोडण, याचकजनदुःखदारिद्रतोडण, धर्मचक्रवर्ति, जैनधर्मउद्योतकारक, अहंकारीमानमर्दन, सर्वजगत्रवंदन, पापनिकरनिकंदन, राजामनरंजन, वादीभट्टनिकंदन, कर्मगजविखंडन, पापतिमरभंजन, श्रीजिनशासनदीपक, बहुशास्त्रवादजीपक, वादीचक्रचूडामणि, राजतदिवसनिशामणि, वादीसिंहसार्दूल, वादीकंदउन्मूल, भूवलयचक्रचूडामणि, परमपूज्यपरमात्माप्ररूपक, परमधर्ममूर्ति, परमकृपाल, परमदयाल, याचकजनप्रतिपाल, परमपंडितशिराल, वाचालां वाचाल, निःशेषनम्रीभूतनृपाल, श्रीजिनशासनपातिसाह, तपागच्छउद्योतकारक, कंदर्पोनमादमारक, धारकां धारक, सर्वसिद्धांतपारक, कर्मकल्पांण (त)कारक, श्रीश्रीविजयधर्मसूरिगुरुजितां पट्टधारक, गादीउच्छाहकारक, प्रभाविकां प्रभाविक, सर्वजगत्रदीपकसमांन, शत्रू मित्रजिम परमान, षट्त्रिंसगुणै भ्राजमान, राजमांन, शोभमांन, दीपमान इत्यादि अनेकगुणालङ्कृतान्, श्रीजिनशासनचक्रवर्तिसमानान्, कलिकालगौतमावतारान्, सकलसूरिशिरोमणि(णी)न्, समुद्र जिम गंभीरान्, सिंह जिम निर्भया[न्], भारंड पंखी जिम अप्रमत्तान्, मेरु जिम गंभीरान्, सूर जिम तेजस्वीन्, चंद्र जिम सितलान्, सोलकलासंपूर्णवदनान्, सश्रीकान्, परमशोभावान्, सकलभट्टारकपुरंदर, सकलभट्टारिकसिरोमणि, भट्टारकभट्टारिकजी श्रीश्रीश्रीश्रीश्री १००८ श्रीश्रीश्रीश्रीविजयजिनेंद्रसूरीश्वरजिकानां चरणान् चरणकमलान् पत्रम् । धन्य ते गुजरात देश, धन्य ते राधणपुर नगर, धन्य ते श्रावक श्राविका, धन्य ते ग्रामनगरपुरपट्टणसंनिवेश, जिहां श्रीपूज्यजी विहार करै, चोमासो करै, धरती पवित्र करै, चरणोदक प्रसवै, धन्य ते राधणपुरनगरना श्रावक श्राविका ते नित्य प्रतै श्रीपूज्यजीना मुखनी अमृतमयी वांणी सांभलै, कांन पवित्र करै, पोसह पडिकमण व्रत पच्चखांण करै, श्री तपागच्छमाहै दीपक समांन श्रीपूज्यजीना मुखनो परभातसमै दरसण करै, पूजा प्रभावना करै, धन्य ते श्रावक श्राविका पुण्यभंडार भरै - इत्यादिक श्रीपूज्यजीना गुणनी तारीफ हजारे गमै जीभ है तो वर्णवै न सकै, मो मंद थकी किम वर्णवाय ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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