Book Title: Anusandhan 2009 12 SrNo 50
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 147
________________ १३४ अनुसन्धान-५० पंचवरण काया नही रूप ज्ञानि नरखइ सकल सरूप ॥४७॥(४९) अनंत सुखमाही झीलइ तेह ते सुखनो नवि आवइ छेह । अझरामर पडवू नही कदा अनंतु बल दरसण छइ सदा ॥४८॥(५०) एहेतुं सीधपणुं जव थाय चोसठि इद्र आव्यां अही धाय । नीरवाण मोहोछव करता देव काया दिहइन करइ ततखेव ॥४९॥(५१) सीबका एक चंदननी करइ सनान करावी जिननि धरइ । बिसारि चंदन चोपडइ मोहिं सुर देवी त्याहा रडइ ॥५०॥(५२) वायत्र वागति लेई जाय चीता रची छइ जेणइ ठाय । जिननि पोढाडइ पगि लागि अग्यनकुमार मुकंता आगि ॥५१॥(५३) वायंकुमार वाइरो करइ केसर चंदन अंबर धरइ । अगर कपुर चुआ त्याहा धरीइ देह दइहइन एणी परि करी ॥५२॥(५४) मेघकुमार सुर आव्यो हवइ करी छटानि चहइ ओहोलवइ । डाढां उपली जिननी जेह सुधर्म ईश्यांणेद्र लइ तेह ॥५३॥(५५) डाढ हेठली लइ चमरेद्र डाभी डाढा लीइ बलेद्र । पूजी पखाली डाबडइ धरइं कामभोग तीहा नवि करइ ॥५४॥(५६) डाढा नीर छाटइ लवलेस रोग शोग दूख दुरि कलेस । बीजा सुर हरी सुखनि कामि हाड दंत लीइ तेणइ ठामि ॥५५॥(५७) श्रावक अग्यनीनिं पूजेह केता नर रिक्षानि लेह ।। केता भसम लगावइ अंगि जिननुं नाम जपइ मनरंगि ॥५६।।(५८) सुरवर थुभरत्न नमइ करइ नंदीस्वर द्वीपि संचरइ ।। जिन पूजी निं टालई शोष गया देव करी पूण्यपोष ॥५७||(५९) मलीनाथ जे मुगतिं गया एकसो वरस घरिं जिनवर रह्या । चोपन सहिस नवसहिंज वरीस संयम पालइ जिन यगदीस ॥५८||(६०) चोपन हजार नवसहि वर्ष जोय एक दीन उंणो भालुं सोय । एटलुं जिन केवलपरयाय सहइस पंचावन वरसनुं आय ||५९॥(६१) लही केवल मुगति संचरइ रीषभ कवी गुणमाला करइ । करम खपइ पूण्य होइ घणुं समकीत नीरमल ते आपणुं ॥६०॥(६२) एक गुण राजादीकना गाय ते नर सुखीआ आहाकणि थाय । प्राहिं पामइ परभवि हाणि लोभि अधम कर्यो गुणखाणि ||६१।।(६३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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