Book Title: Anusandhan 2009 12 SrNo 50
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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डिसेम्बर-२००९
१४१
कडी क्र.
अर्थ
शब्द जीनकलपी
२२६
जिनकल्प-एक साधना विशेष, ते करनार साधु स्थविरकल्प-साधुओनी आचरणा आर्या-साध्वी
२२७
२२७
२२७
विहार
थीवरकलप अजीआ व्याहार देवदुक्ष ईत दुरभख्य
२२८
२३५
देवदूष्य वस्त्र ईति-उपद्रवो दुर्भिक्ष-दुकाळ भय
२३५ २३५
भि
२३८
कंटक
२३८
२४०
२४१
२४७
कंटीक वीरख असुल रति नरखइ रिक्षा आहाकणि प्राहिं आहा भाड
२५६
२६१
२६१ २६२ २६४
वृक्ष शूळ विनानां ऋतु निरखे रक्षा-भस्म अहीं कने प्रायः अहीं भांड कुकवि संबंध पीडा दहाडा-दिवसो वाट .
C/o. देवीकमल जैन स्वाध्याय मन्दिर ओपेरा, पालडी, नवा विकासगृह रोड, अमदावाद-७
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२६६
ककव्य
२७८ २८५
समध पंडा दाढा वाठ
२८७
२८८
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