Book Title: Anusandhan 2009 12 SrNo 50
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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डिसेम्बर-२००९
१२७
हरखी नारि दि आसीसो रे मली जीवयो कोडि वरीसो रे ।। षासर पिहइरतो मुझ भरतारो रे तेणइ कीधो सोलइ शणगारो रे ॥७५।।(७६) मारि साडलइ साधा त्रीसो रे पिरूं पटोला हवइ नसदीसो रे । पिहइरणि काचली गलीइं बोली रे हवइ हुं पिहइरू नवरंग चोली रे ॥७६।।(७७) जाडा चरणीआ नि मशवरणा रे पिहइरूं पाच पटाना चरणा रे । चाला बरटी खातां तेलो रे साली दलि हुई हवइ घृतरेलो रे ॥७७॥(७८) सांठी खूपडां माहां शो वासो रे रहिवा लीधा सखर आवासो रे । शला खाटला माकण आला रे आण्या ढोलीआ सोवनथाला रे ॥७८॥(७९) पिहिरइ भूषणनि आभो रे जाचिक जननो वलीओ वरणो रे । जिन नमि हुओ जग आनंदो रे वरसीदान दइ मली-जिणंदो रे ॥७९॥(८०) दीख्या-अवसर हुओ यारइ रे छइ राय आव्या नर त्यारइ रे । आल्यां नीज ब्येटानि राजो रे पोतइ सारइ आतमकाजो रे ॥८०॥(८१)
॥ ढाल ॥ ॥ बइठो नायक त्याहि ते सबल हरखी ॥ राग-देसाख । आतम काज सारइ जिन मलीनाथो आवइ अंद्र अंद्राणीअ देव साथी । स्यणगारतो नगरीअ नगरनाथो केसर चंदन छांटणां त्याह थातो ॥८१॥(८२)
मली दीक्ष लेता || आचली । भंभा भेरीअ नाटीक सबल थाइ सुर गाद्रप देवता त्याह गाइ । मली मस्तगि खुप ते तव भराइ जयंती शबकां त्यीहा सज थाइ म० ॥८२।।(८३) शबकामांहि बइसतो मलीनाथो दीइ कुंभना(?) मानव त्याह हाथो । पछइ अंद्र सुर सीबीकानि खंधि लेता चाल्या पुरुष जिन मल्यनी सूति(स्तुति) करेता ।।म०॥८३।।(८४) गज अस्व रथ पालखी पूठि चालइ धज चामर छत्र नर सोय झालइ ।
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