Book Title: Anusandhan 2009 12 SrNo 50
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 94
________________ डिसेम्बर २००९ भूपति मानसिंघ राजा, वाजै नित नौबत वाजा हो । सद० । हय गय रथ परीवार, पायक दल संख न पार हो । सद० अरज० ||३|| गढपती गढमै गाजै, अरीयण तेहना सहु भाजै हो । सद० । शत खंडै महिल विराजै, जिम आसादै घन गाजै हो । चांपा कूंपा मेडतीया, उदावत छै बहुमतीया हो । सद० । जोधा जैतावत जांणुं, करमसोत करणोत वखांणुं हो । ८१ सद० अरज० ||४|| सद० अरज० ॥५॥ आठै मिसलत छाजै, भूपति तिहां तखत विराजै हो । सद० । मुच्छ्द्धी तेहना भारी, दीवांण छै सिंघवी भंडारी हो । सद० अरज० ||६|| मुंहणोत नै वली मुंहता, हाकम हुजदारी करता हो । सद० । इम नगर जोधांणो तुम्है निरखो, जिको इंद्रपुरी छै सरिखो हो । सद० अरज० ॥७॥ वाग वाडी आराम, नव खंड मांहै जिणरो नाम हो । सद० । मुंहणोत नवलमल्ल भाखुं जोधपुरनो हाकम दाखुं हो । चतुर सुघड बहु जांण, राजानो छै बहु मांन हो । सद० । भगवंत देहरा भारी, पूजा हुवै सतरप्रकारी हो । Jain Education International सद० अरज० ॥८॥ सद० अरज० ||९|| श्रावक बारै व्रत साजै, गुणनिध नितनितका गाजै हो । सद० । पोसा नै प्रतिक्रमण, वली भेद सिद्धांतां भणणा हो । For Private & Personal Use Only सद० अरज० ॥१०॥ सुगुरुतणी करै सेवा, पूजै इक अरिहंत देवा हो । सद० । ज्यांरा गुण मुख कैता, गावुं, परतिख नही पार न पावुं हो । 3 सद० अरज० ॥११॥ www.jainelibrary.org

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