Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 17
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 229
________________ अनुसंधान-१७ • 220 जरूरियात पू. महाराजश्रीना ध्यानमां आवतां तेओश्रीए मूळे नानी योजनानुं विस्तरण करीने अर्धशताब्दी स्मृति निमित्ते एक भव्य भवन ऊभुं करावी, तेमां विविध धार्मिक, साहित्यिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक प्रवृत्तिओनो व्याप धरावती संस्थाओवें केन्द्र रचवानो निर्णय लीधो, जेनुं परिणाम आ स्वाध्याय मंदिर गणाय. आथी आ स्वाध्यायमंदिर साथे आचार्य श्रीविजयनेमिसूरीश्वरजीनाम जोडवामां आव्युं छे. . ___आ स्वाध्याय मंदिरमां योजायेला कायमी ज्ञान-यज्ञलानी विगत : १. "आगम प्रभाकर श्रुतशीलवारिधि मुनिश्रीपुण्यविजयजी ग्रंथालय" ___ आगम प्रभाकरजी आपणा एक बहुश्रुत अने अत्यंत ऊंची कक्षाना संशोधक अने छतां परम श्रद्धावंत मुनिराज हता. बहु का लोको तेमने प्रीछी-परखी शक्या छे. तेओनी जन्म शताब्दी बे वर्ष पूर्वे गई, ते प्रसंगे पूज्य आचार्यश्रीए संकल्प करेलो के आगमशास्त्रोद्धार द्वारा जैन संघना तथा विद्याजगतनी अनन्य सेवा करनार आ मुनिराजनुं नानुं पण स्मारक कर ज. तेना परिणामे स्वाध्याय मंदिरना ग्रंथालय साथे तेओश्रीनुं नाम जोडवामां आवेल छे. २. "पं. दलसुख मालवणिया प्राकृत ग्रंथ परिषद्" Prakrit Text Society तरीके जाणीती आ संस्थानी स्थापनाथी लई १९९९ सुधी, तेने माटे सर्व प्रकारनो भोग आपनार पं. मालवणिया इन्डोलोजी, भारतीय (जैन-बौद्ध-वैदिक) दर्शनोना विश्वमान्य मूर्धन्य पंडित हता. तेमनी दीर्घकालीन सेवाओ तथा श्रुतोपासनाने लक्ष्यमां लईने परिषद् साथे तेमनुं नाम जोडवामां आवेल छे. ३. "कलिकाल सर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्म शताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि" श्रीहेमचन्द्राचार्यनी स्मृतिमां रचायेली आ संस्थाए ढूंका गाळामां पण अनेक प्रकाशनो सह विविध साहित्य सेवानी प्रवृत्तिओ करी छे. तेनु कार्यालय पण अहीं स्थापवामां आवेल छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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