Book Title: Antgadadasao evam Anuttaravavaidasao
Author(s): P L Vaidya
Publisher: P L Vaidya

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Page 78
________________ . 62 अणुत्तरोववाइयदसासु [179 कारेइ, अब्भुग्गयमूसिय', जाव तेसिं मज्झे भवणं अणेगखम्भसयनिविटुं जाव बत्तीसाए इब्भवरकन्नगाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेइ, 2 बत्तीअओ दाओ, जाव उप्प पासाय... फुट्टन्तेहिं जाव विहरइ // 179 // तेणं कालेणं 2 समणे समासढे। परिसा निग्गया। राया जहा कूणिओ तहा निग्गओ। तए ण तस्स धन्नस्स तं महया..., जहा जमाली तहा निग्गओ, नवरं पायचारेणं, जाव जं नवरं “अम्मयं भदं सत्थवाहिं आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अन्तिए जाव पव्वयामि"। जाव जमाली तहा आपुच्छइ / मुच्छिया, वुत्त पडिवुत्तया जहा महाबले, जाव जाहे नो संचाएइ, जहा थावच्चापुत्तो जियसत्तुं आपुच्छइ, छत्तचामराओ...। सयमेव जियसत्तू निक्खमणं करेइ, जहा थावञ्चापुत्तस्स कण्हो, जाव पव्वइए अणगारे जाए इरियासमिए जाव बम्भयारी॥१८०॥ तए णं से धन्ने अणगारे जं चेव दिवसं मुण्डे भवित्ता जाव पव्वइए, तं चेव दिवसं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, 2 एवं वयासी--"इच्छामि गं भन्ते, तुम्भेहिं अब्भणुनाए समाणे जावजीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं आयम्बिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरित्तए / छट्टस्स वि य पारणयंसि आयम्बिलं पडिग्गहित्तए नो चेव णं अणायम्बिलं, तं पि य णं संसटुं नो चेव णं असंसहूं, तं पि य णं उज्झियधम्मियं नो चेव णं अणुज्झियधम्मियं, तं पि य जं अन्ने बहवे समणमाइणअतिहिकिवणवणीमगा नावकंखन्ति"। " अहासुह, देवाणुप्पिया, मा पडिबन्धं..." // 191 //

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