Book Title: Antgadadasao evam Anuttaravavaidasao
Author(s): P L Vaidya
Publisher: P L Vaidya

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Page 77
________________ 178] तइयो वग्गो III _ "जइ णं, भन्ते, समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोबवाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्त अयमढे पन्नत्ते, तच्चस्स णं, भन्ते, वग्गस्स अणुत्तरोववाइथदसाणं समजेणं जाव संपतेणं के अटे पन्नले ?" " एवं खलु, जम्बू, समणेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं तबस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता। तं जहा धन्ने व सुणक्खत्ते इसिदासे य आहिए। पेल्लए रामपुत्ते य बन्दिमा पुष्टिमा इ य // 1 // पेढालपुत्ते अणगारे नवमे पोट्ठिले 3 य / वेहले दलमे बुत्ते इमेए दस आहिया // 2 // " "जाणं भन्ते समणेणं जाव संपत्तेणं...तधस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पचत्ता, पढमस्त पं, भन्ते, अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तणं के अट्टे पन्नत्ते?" "एवं खल, जम्बू" // 176 // तेज कालणं 2 कागन्दी नाम नयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिछा / सहसम्बवणे उजाणे सव्वोउय...। जियसत्तू राया // 177 // तत्थ णं कागन्दीए नयरीए भदा नाम सत्यवाही परिवसइ अड्डा जाव अपरिभूया। तले णं भवाए सत्थवाहीए पुत्ते धन्ने नामं दारए होत्था अहीण जाव लुरूवे / पञ्चधाईपरिग्गहिए, तं जहा-खीरधाई..., जहा महब्बले, जाव बावत्तरि कलाओ अहीर जाव अलंभोगसमत्थे जाए यावि होत्था // 178 // तए णं सा भद्दा सत्थवाही धनं दारगं उम्मुक्कबालभावं जाव भोगसमत्थं यावि जाणित्ता बत्तीसं पालायवडिसए

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