Book Title: Antgadadasao evam Anuttaravavaidasao
Author(s): P L Vaidya
Publisher: P L Vaidya

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Page 101
________________ स्कन्दककथानकम् गिलाइ,भासं भासमाणे गिलाइ,भासंभासिस्लामित्ति गिलायइ। से जहानामए कट्टलगडियाइ वा पत्तसगडिया इवापत्ततिलभण्डगसगडिया इ वा इङ्गालसगडिया इ वा उण्हे दिन्ना मुक्का समाणी स सदं गच्छइससदं चिट्ठइ, एवामेव खन्दए वि अणगारे ससदं गच्छइ, ससई चिट्ठइ, उवचिए तवेणं, अवविर मंससोणिएणं, हुयासणे विव भासरासिपडिच्छन्ने तवणं तेएणं तवतेयसिरीए अईव 2 उवसोभेमाणे चिट्टइ॥ 18. तेणं कालेगं तेणं समएणं रायगिहे नगरे / समोसरणं, जाव परिसा पडिगया / तए णं तस्ल खन्दयस्स अण. गारस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरियं जागरमाणस्ल इसेयारूवे अज्झथिए चिन्तिए जाव समुप्पजिन्था-"एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं ओरालेणं जाव किसे धमणिसंतए जाए जीवंजीवेणं गच्छामि, जीवंजीवेण चिट्ठामि, जाव गिलामि,जाव एवामेव अहं पि सलदं गच्छामि ससदं चिट्ठामि / तं अत्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे, तं जाव, ता मे आत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुही विहरइ तावता मे सेयं कलं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लु पलकमलकोमलुम्मिलियम्मि अहापण्डुरे पभाए रत्तासोयप्पगासे किंसुयसुयमुहगुञ्जद्धरागसरिसे कमलागरसण्डबोहए उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलन्ते समणं भगवं महावीर वन्दित्ता नमंसित्ता जाव पजुवासित्ता समणेणं भगवया महावीरेणं अन्भणुनाए समाणे सयमेव पञ्च महन्वयाणि आरोवेत्ता समणा य समणीओ य खामेत्ता तहारूवेहि थेरे

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