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चतुर्थ वर्ग - प्रथम अध्ययन ]
89 } एक समय भगवान अरिष्टनेमि वहाँ पधारे । उनकी अमोघ वाणी द्वारा धर्मोपदेश सुनकर जालि कुमार को संसार से विरक्ति हो गई। माता-पिता की आज्ञा लेकर उन्होंने अर्हन्त अरिष्टनेमि के पास अर्हत दीक्षा अंगीकार की। उन्होंने बारह अंगों का अध्ययन किया और 16 वर्ष पर्यन्त श्रमण दीक्षा पर्याय पाली।
फिर गौतम कुमार की तरह इन्होंने भी संलेखना आदि करके शत्रुञ्जय पर्वत पर एक मास का संथारा किया और सब कर्मों से मुक्त होकर सिद्ध हुए।
इसी प्रकार मयालि कुमार 2, उवयालि कुमार 3, पुरुषसेन कुमार 4, और वारिसेन कुमार 5, के जीवन का वर्णन भी समझना चाहिये । ये सभी 'वसुदेवजी' के पुत्र एवं धारिणी' रानी के अंगजात थे ।।3।। मूल- एवं पज्जुण्णे वि नवरं कण्हे पिया, रुप्पिणी माया। एवं संबे वि नवरं
जंबवई माया। एवं अणिरुद्ध वि नवरं पज्जुण्णे पिया, वेदब्भी माया। एवं सच्चणेमी, नवरं समुद्दविजए पिया सिवा माया। एवं दढणेमी
वि। सव्वे एगगमा चउत्थस्स वग्गस्स निक्खेवओ। संस्कृत छाया- एवं प्रद्युम्नोऽपि, विशेष: कृष्णः पिता रुक्मिणी माता । एवं साम्बः अपि विशेष:
जाम्बवती माता । एवं अनिरुद्धोऽपि विशेषः प्रद्युम्नः पिता वैदर्भी माता । एवं सत्यनेमिः विशेष: समुद्रविजयः पिता शिवा माता एवं दृढनेमिरपि । सर्वाणि
(अध्ययनानि) एकगमानि चतुर्थस्य वर्गस्य निक्षेपकः । अन्वायार्थ-एवं पज्जुण्णे वि = इसी प्रकार छठे प्रद्युम्न कुमार का वर्णन भी जानना चाहिए । नवरं कण्हे पिया रुप्पिणी माया = विशेष-कृष्ण पिता और रुक्मिणी देवी माता है । एवं संबे वि नवरं जंबवई माया = इसी प्रकार साम्ब कुमार भी, विशेष-जाम्बवती माता है। एवं अणिरुद्ध वि नवरं = ये दोनों श्री कृष्ण के पुत्र थे। इसी प्रकार अनिरुद्धकुमार का भी, पज्जण्णे पिया, वेदब्भी माया = है विशेष यह है कि प्रद्युम्न पिता और वैदर्भी उसकी माता है । एवं सच्चणेमी, नवरं = इसी प्रकार वर्णन सत्यनेमि कुमार का है, समुद्दविजए पिया सिवा माया = विशेष है-समुद्र विजय पिता और शिवा देवी माता । एवं दढणेमी वि = इसी प्रकार दृढ़नेमि का हाल भी, समझना । सव्वे एगगमा = ये सभी अध्ययन एक सरीखे हैं। चउत्थस्स वग्गस्स निक्खेवओ = इस प्रकार हे जम्बू ! चौथे, वर्ग का प्रभु ने यह भाव कहा है।
भावार्थ-इसी तरह छठे प्रद्युम्न कुमार का जीवन चरित्र भी जानना चाहिये। केवल अन्तर इतना जानना कि इनके श्री कृष्ण' पिता और रुक्मिणी' माता थी।
ऐसे ही सातवें शाम्ब कुमार का जीवन वर्णन समझना। केवल अन्तर इतना कि इनके पिता श्री कृष्ण' एवं माता ‘जाम्बवती' थी।