Book Title: Anekant 1973 Book 26 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ वर्धमानपुर : एक समस्या मनोहरलाल दलाल जनाचार्य जिनसेन ने अपने हरिवंश पुराण को शक ही उस समय अवन्ति का शासक था, जिसका हरिवंश ७०५ में वर्द्धमानपुर के शान्तिनाथ चैत्यालय में पुराण में उल्लेख है, इस दृष्टि से कुवलयमाला में उल्लेसमाप्त किया था। इसी बर्द्धमानपुर मे शक संवत् ८५३ खित वत्सराज भिन्न प्रतीत होता है। जो कि प्रतिहारमहरिषेग ने कयाकोष की रचना की थी। डॉ. ए. वंशीय था। पश्चिम के शासक बीर वराह की पहिचान न. उपाध्ये ने इस वर्द्धमानपुर की पहिचान सौराष्ट्र के राष्ट्रकूट शासक कर्कराज के ताम्र पत्र में उल्लेखित प्रसिद्ध शहर 'बढ़वाण' से की है, परन्तु डा. हीरालाल राष्ट्रकुट सम्राट कृण से पराजित चालुक्य शासक कीति जाने (इण्डियन कल्चर-अप्रैल १६४५) घाट जिला वर्मा महावराह के वशज से की जाती है। ऐसी स्थिति तर्गत नगर बदनावर' से इस वर्द्धमानपुर को अभिन्न में हरिवंश पुराण में उल्लेखित भौगोलिक स्थिति के माना है। ये दोनों ही नगर उज्जयिनी से पश्चिम में मापार पर कोई निष्कर्ष निकालना सम्भव नहीं है, कजिनसेनाचार्य ने वर्द्धमानपुर की जो भोगोलिक स्थिति क्योकि बढवाण एवं बदनावर दोनों स्थलों पर यह बतलाई है वह महत्वपूर्ण है। हरिवंश पुराण के अन्तिम घटित होती है। पर पद्य मे लेखक ने बतलाया है कि वर्तमान- हरिवंश पुराण की रचना वर्द्धमानपुर की नन्न राज उत्तर में इन्द्रायुध, दक्षिण में कृष्ण का पुत्र श्री वसनि में की गई थी, जो कि राष्ट्रकूट शासक नन्न राज प मे अवन्तिराज वत्सराज और पश्चिम में या उसके उत्तराधिकारी द्वारा निर्मित मंदिर रहा होगा। सोनों के प्रधिमण्डल सौराष्ट्र की वीर जयवराह रक्षा मानपुरा के निकट इन्द्रगढ़ से प्राप्त मालव संवत् ७६७ करता था, उस समय यह ग्रन्थ पूर्ण हुआ था। (शक सक्त् ३२) के अभिलेख में भामन के पुत्र राजा दोनों स्थल (बढवाण एव बदनाबर) से उत्तर में कन्नोज णपणप्य का उल्लेख है, जिसका मालवा पर शासन था, के शासक इन्द्रायध का शासन अभिलेखों से ज्ञात है तथा गसको पहिचान सगलोदा एब मुल्ताई ताम्रपत्रों से दक्षिण में राष्ट्रकूट सम्राट गोबिन्द द्वितीय श्री वल्लभ शात राष्ट्रकूट शासक नन्नराज से की जाती है. जिसकी का शासन था, जिसकी जात तिथि ताम्रपत्र से शक संवत् तिथि शक सबत् ६३३ ज्ञात है। इस दृष्टि से भी नन्नराज १२ ज्ञात है। पूर्व की मोर के शासक 'प्रवन्ति भूभूत वसति की सम्भावना बढ़वाण एव बदनावर दोनो ही वत्सराज' को नागभद्र द्वितीय के पिता वत्सराज से मभिन्न स्थलों पर हो सकती है। बदनावर में पूर्व मध्यकालीन समझा जाता है, परन्तु उद्योतन सूरि की कुवलयमाला मदिरों एवं मूतियों के अवशेष मिले है, इनमे एक लेख मे नामक प्राकृत कथा में वत्सराज का राज्य शक संवत् ७०० शान्तिनाथ चैत्यालय का उल्लेख भी है। में जावालिपुर पर्थात् जालौर (मारबाड़) में बताया गया वर्द्धमानपुर को पहिचान की दृष्टि से बदनावर से है। अन्य ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिससे प्रतिहार शासक ३. इण्डियन हिस्टोरिकल क्वाटली, ३१, क्रमांक २ वत्सराज को भवन्तिराज माना जा सके, सम्भवतः महमा पृ. ६९; एपिग्राफिका इण्डिका जिल्द ३२ पृ० ११२ अभिलेख से ज्ञात मालवा का स्थानीय शासक वत्सराज ४. इण्डियन एण्टिक्वेटी २६, पृ० १०६ । १. एपिमाफिमा इण्डिया, जिल्द-६, पृ० २०६। ५. वही, १८ पृष्ठ २३०; एपिमाफिया इण्डिका ११, २. वही, जिल्द ३७, मंक ११ । पृष्ठ २७६ ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 272