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पं० शिवचन्द्र देहलीवाले
देहलीमें पं. शिवचन्द्र नामके एक अच्छे साहित्य-प्र ेमी विद्वान् होगये हैं जिन्होंने पञ्चायती मन्दिरके भण्डारमें ग्रन्थोंका बहुत अच्छा संग्रह किया है और स्वयं भी हिन्दी - साहित्यका कितना ही निर्माण किया है । इनका उल्लेख श्रद्धय पंडित नाथूरामजी प्र ेमीने अपनी 'हिन्दी जैनसाहित्यका इतिहास' नामक पुस्तकमें किया है । उक्त भण्डारकी सूचीका निरीक्षण करते हुए हमें उनके निम्न ग्रन्थोंका पता चला है । इनमें कौन अनुवादित और कौन स्वनिर्मित हैं, इसका निर्णय विज्ञ पाठक ही इन ग्रन्थोंका पूर्णतः अवलोकनकर कर सकेंगे । यहाँ तो सिर्फ उनकी सूची दी जारही है । आशा है कोई विद्वान् इनपर पूरा प्रकाश डालेंगे ।
४६ पत्र
(१) भक्तामर स्तोत्र (२) कल्याणमन्दिरस्तोत्र (३) एकीभावस्तोत्र -
(४) विषापहारस्तोत्र (५) भूपालचौबीसी (६) स्वयम्भू स्तोत्र (७) जिनसहस्रनाम (८) तत्वार्थटीका (c) सर्वार्थसिद्धिटीका (१०) नीतिवाक्यामृतटीका (११) दशलक्षणधर्मटीका (१२) सोलह कारणधर्मंटीका (१३) त्रिवर्णाचार-टीका (१४) धर्मप्रश्नोत्तरश्रावकाचारटीका
(१९) दशलक्षणपूजा (२०) कलिकुण्डपूजा (२१) पचमेरुपूजा (२२) सप्तऋषिपूजा
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(२५)
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(२६) लोकचर्चावच निका
(२७) दायभागप्रकरण
भाषा
(१५) देवशास्त्रगुरुपूजासार्थं (सं० १९६०)
(१६) बीसमहाराज (१७) सिद्धपूजा (१८) सोलहकारण
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११
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५७ पत्र
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१० पत्र
३ पत्र १६ पत्र ६५ पत्र
६८ पत्र
(४५) अनादि दिगम्बर
(४६) जैनसभाव्याख्यान
(४७) (४८) चैत्यवदना
(२३) इतिहासरत्नाकर २ भाग पूर्ण (सं. १९२०) ५५ पत्र (४९) शास्त्रपूजा साथ
(२४)
तीसरा अपूर्ण
(५०) गुरुपूजा सार्थ
चौथा भाग
६ पत्र
१० पत्र
४ पत्र
४ पत्र
४ पत्र
१७ पत्र
१६ पत्र (३८) गृहस्थचर्या
२७४ पत्र
१३६ पत्र
(२८) भक्तिपाठसप्तक स.टि. (सं. १६४८) (२९) नीतिवाक्यामृतवचनिका षट्द्रव्यकथनादिधार्मिकचर्चा (३०) ध्यानकी विधि
(३१) जैनउद्योत पत्रिका (सं० १६२७)
५ पत्र
१०१ पत्र
५६ पत्र
१६ पत्र
(३२) अलौकिकगणित
(३३) शिक्षा चन्द्रिका
(३४) अन्यमतके ग्रन्थोंमें जैनधर्म सम्बन्धी श्लो. ४ पत्र (३५) प्रश्नोत्तर
११ पत्र
७ पत्र
(३६) षट्मतव्यवस्थावर्णन (३७) मतखण्डन विवाद
८ पत्र
(३९) जैनमतप्रबोधिनी (४०) गुणस्थानचर्चा (४१) विवाहपद्धति
(४२) सत्यार्थप्रकाशकी समालोचना (४३) पंचेन्द्रिय विषयवर्णन (४४) आर्यसमाजियोंसे प्रश्न
.१४ पत्र
(५१) यात्राप्रबन्ध (सं० १९२७)
(५२) अष्टाह्नकापूजा
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७१ पत्र
४ पत्र
६ पत्र
३७ पत्र
३ पत्र
१३ पत्र
६ पत्र
८ पत्र
पैंतीसी (निर्माण सं० १९२०) २५ पत्र
१४ पत्र
- पन्नालाल जैन अप्रवाल
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