Book Title: Anekant 1940 04
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 28
________________ १०४ . अनेकान्त [चैत्र, वीर निर्वाण सं०२४६६ इस सूत्रका प्रायः वही श्राशय है जो उमास्वातिके स्वातिके तत्त्वार्थसूत्रमें नहीं है । 'भरतैरावतयोवृतिहासौषट्समयाभ्यामुत्सर्पिश्यवसर्पि- मनुष्यतिरश्चामुकृष्ट-जघन्यायुषी त्रिपल्योपमातणीभ्याम्' इस सूत्र नं० २७ का है। मुहूः ॥१८॥ विदेहेषु सन्ततश्चतुर्थः ॥१२॥ 'मनुष्य और तिर्यचोंकी उस्कृष्ट प्रायु तीन पल्यकी 'विदेहक्षेत्रों में सदा चौथा काब वर्तता है। और जघन्य आयु अन्तर्मुहुर्तकी होती है। इस आशयका कोई सूत्र उमास्त्राति के तत्त्वार्थसूत्र उमास्वातिके "नृस्थितिपरापरे त्रिपल्योपमान्तमें नहीं है। सर्वार्थसिद्धिकारने 'विदेहेषु संख्येयकालाः' मुहूर्ते" और "तिर्यग्बोनिजानां च” इन दो सूत्रों (३८, सूत्र की व्याख्या करते हुए 'तत्र कालः सुषमदुःषमा- ३६) में जो बात कही गई है वही यहां इस एक सूत्रमें न्तोपमः सदाऽवस्थितः इस वाक्यके द्वारा वहाँ सदा वर्णित है-अक्षर भी अधिक नहीं हैं । चतुर्थ कालके होनेको सूचित किया है । इति श्रीवृहत्प्रभाचन्द्रविरचिते तत्त्वार्थसूत्रे आर्या म्लेच्छाश्च नरः ॥१३॥ तृतीयोध्यायः ॥३॥ 'मनुष्य मार्य और म्लेच्छ होते हैं । 'इस प्रकार श्रीवृहत्प्रमाचंद्र-विरचित तत्वार्थसूत्र में . यह सूत्र और उमास्वातिका 'भार्या म्लेच्छाश्च' 'तीसरा अध्याय समाप्त हुआ। सूत्र (नं० ३६) एक ही आशयक हैं । इसमें 'नरः' पद 'न' शब्दका प्रथमाका बहुवचनान्तपद है, जो यहाँ चौथा अध्याय अधिक नहीं, किन्तु कथन-क्रमको देखते हुए श्रावश्यक जान पड़ता है। दशाष्टपंचमभेदभावन-व्यन्तर-ज्योतिष्काः ॥१॥ त्रिषष्ठि 'शलाकापुरुषाः ॥१४॥ 'भवनवासियों, न्यन्तरों और ज्योतिषियोंके क्रमशः एकादशरुद्राः ॥१५॥ दश, पाठ और पाँच भेद होते हैं। नवनारदाः ॥१६॥ भबनवासी श्रादि देवोंकी यह भेद-गणना उमाचतुर्विशति कामदेवाः ॥१७॥ 'वेसठ शनाका पुरुष होते हैं।' स्वातिके "दशाष्टपंचद्वादशविकल्पाः कल्पोपपक्षपर्यताः" सूत्र (नं० ३) में पाई जाती है । 'ग्यारह रुद्र होते हैं।' , 'नव नारद होते हैं। वैमानिका द्विविधाः 'कल्पजकल्पातीतभेदात् ॥२॥ 'चौबीस कामदेव होते हैं। 'वैमानिक ( देव ) कल्पन और कल्पातीतके भेदसे इन चारों सूत्रोंके आशयका का कोई भी सूत्र उमा- दो प्रकारके होते हैं। इस सूत्र विषयके लिये उमास्वातिके तत्त्वार्थसूत्र में वेताम्बरीय सूत्रपाठमें वह सूत्र भी नहीं है। - यह सूत्र भी श्वेताम्बरीय सूत्र पाठमें नहीं है। * मुहूतौ ।। - सनाका। १ धा। २ता

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