Book Title: Anekant 1939 11
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 120
________________ अनेकान्त [वर्ष 3, किरण 1 इटो अत्थो लब्भर जिणणामंगहणमेत्तेण // 1-30 // बिम्ब अंकित कराकर उनको अयोध्या के बाहरी दर्वाज़ों विघ्नाः प्राणश्यन्ति भयं न जातु न दुष्टदेवाःपरिलंघयन्ति और राजमहलके बाहरी दर्वाजोंपर लटकाया / जब वे अर्थान्यथेष्टांश्च सदालभन्ते जिनोत्तमानां परिकीर्तनेन // 21 आते जाते थे तो उन्हें इन घंटोंपर अंकित हुई मूर्तियोंको ___ अर्थात्-जिनेन्द्र भगवानके नाम लेने मात्रसे देखकर भगवान्का स्मरण हो पाता था और तब वे विघ्न नाश होजाते हैं,पाप दूर हो जाते हैं, दुष्ट देव कुछ इन घंटोंपर अंकित जिनबिम्बोंकी बंदना तथा पूजा किया बाधा नहीं कर सकते हैं, इष्ट पदार्थोकी प्राप्ति होती है। करते थे। कुछ दिन पीछे नगरके लोगोंने भी ऐसे घंटे ___ इसके अलावा जिनेन्द्र भगवान्की मूर्ति बिना प्रतिष्ठा- अपनेर मकानोंके बाहरी द्वारों पर बांध दिये, और वेभी के ही पूज्य है, इसके लिये हमको अादिपुराण पर्व 41 के उन पर अंकित जिन-बिम्बोंकी पूजा बन्दना करने लगे। श्लोक 85 से 15 तकका वह कथन पढ़ना चाहिये, इससे स्पष्ट सिद्ध है कि भगवान्की मूर्तियोंको प्रतिष्ठा जिसमें लिखा है कि, भरत महाराजने घंटोंके ऊपर जिन- करानेकी कोई आवश्यकता नहीं है वे वैसे ही पूज्य हैं / .विनयसे तत्वकी सिद्धि है राजगृही नगरीके राज्यासन पर जिस समय उस परसे आम तोड़ लिये। बादमें दूसरे मात्रके श्रेणिक राजा विराजमान था उस समय उस द्वारा उसे जैसाका तैसा कर दिया। बाद में चांडाल नगरीमें एक चाण्डाल रहता था। एक समय इस अपने घर आया। इस तरह अपनी स्त्रीकी इच्छा चांडालकी स्त्रीको गर्भ रहा / चाडालिनीको आम पूरी करनेके लिये निरन्तर यह चांडाल विद्याके खानेकी इच्छा उत्पन्न हुई / उसने आमोंको लाने- बलसे वहाँसे आम लाने लगा। एक दिन फिरते 2 के लिये चांडालसे कहा / चांडालने कहा, यह मालीकी दृष्टि उन आमों पर गई। आमोंकी चोरी श्रामोंका मौसम नहीं,इसलिये मैं निरुपाय हूँ। नहीं हुई जानकर उसने श्रेणिक राजाके आगे जाकर तो मैं आम चाहे कितने ही ऊँचे हों वहींसे अपनी नम्रतापूर्वक सब हाल कहा / श्रेणिककी आज्ञासे विद्याके बलसे तोड़ कर तेरी इच्छा पूर्ण करता / अभयकुमार नामके बुद्धशाली प्रधानने युक्तिके चांडालिनीने कहा, राजाकी महारानीके बागमें एक द्वारा उस चाडालको ढूंढ निकाला / च।डालको असमय फल देने वाला आम है; उसमें आज कल अपने आगे बुलाकर अभयकुमारने पूछा, इतने आम लगे होंगे / इसलिये आप वहाँ जाकर आमों मनु य बागमें रहते हैं, फिर भी तू किस रीतिसे को लावें / अपनी स्त्रीकी इच्छा पूर्ण करनेको चा. ऊपर चढ़कर आम तोड़कर ले जाता है, कि यह डाल उस बागमें गया। चांडालने गुप्तरीतिमे आम- बात किसीके जाननेम नहीं आती ? चांडालने कहा, के समीप जाकर मंत्र पढ़कर वृक्षको नवाया और आप मेरा अपराध क्षमा करें, मैं सच 2 कह देता

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